Shimla: हिमाचल प्रदेश को पर्यटन और कनेक्टिविटी की नई ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए राज्य सरकार ने बड़े स्तर पर रोप-वे परियोजनाओं की श्रृंखला शुरू की है। उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि इन परियोजनाओं से हिमाचल न केवल धार्मिक और साहसिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनेगा, बल्कि यह पर्यावरण अनुकूल वैकल्पिक परिवहन का भी बेहतरीन मॉडल होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि इन योजनाओं से हिमाचल को स्विट्जरलैंड की तर्ज पर पर्यटन हब के रूप में विकसित किया जाएगा और हजारों युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
शिमला में 1734 करोड़ रुपये की मेगा रोप-वे परियोजना
उप-मुख्यमंत्री ने बताया कि राजधानी शिमला में 13.79 किलोमीटर लंबी रोप-वे परियोजना को अंतिम स्वीकृति मिल चुकी है। लगभग 1734.70 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली इस परियोजना को अगले चार वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें 3 लाइनें, 14 सेक्शन और 13 स्टेशन होंगे। यह नेटवर्क सचिवालय, अस्पताल, स्कूल, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड को आपस में जोड़ेगा, जिससे शहर की यातायात व्यवस्था पर दबाव कम होगा। अग्निहोत्री ने बताया कि शिमला में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत 50 करोड़ रुपये की लागत से 19 इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट और 25 करोड़ रुपये से 3 अन्य प्रोजेक्ट दिसंबर 2026 तक पूरे किए जाएंगे। इनसे शहर की सुविधाएं और आधुनिक होंगी।
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धार्मिक पर्यटन को मिलेगी नई दिशा
प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तीन महत्वाकांक्षी रोप-वे परियोजनाओं पर काम चल रहा है। इनमें बाबा बालकनाथ मंदिर रोप-वे (65 करोड़ रुपये), बिजली महादेव रोप-वे (278.62 करोड़ रुपये) और माता चिंतपूर्णी मंदिर रोप-वे (76.50 करोड़ रुपये) शामिल हैं। ये सभी जून 2027 तक पूरे किए जाएंगे। उप-मुख्यमंत्री ने बताया कि ग्रामीण कनेक्टिविटी की पहल के रूप में देश का पहला बगलामुखी रोप-वे दिसंबर 2024 में शुरू किया गया। 53.89 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस प्रोजेक्ट का अब तक लगभग 69 हजार यात्रियों ने लाभ उठाया है। आपदा के समय यह रोप-वे स्थानीय लोगों और राहत कार्यों के लिए जीवन रेखा साबित हुआ। पर्यटन कनेक्टिविटी को मजबूती देने के लिए कुल्लू के ढालपुर से पीज रोप-वे पर तेजी से काम जारी है। 1.20 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट पर 80 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इसे जून 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
शिमला-परवाणु रोप-वे : देश की सबसे बड़ी परियोजना
हिमाचल सरकार ने सड़कों पर बढ़ते वाहनों के दबाव को कम करने के लिए शिमला को परवाणु से रोप-वे के माध्यम से जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है। 38 किलोमीटर लंबी इस परियोजना की अनुमानित लागत 5602.56 करोड़ रुपये है। इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मोड पर पूरा किया जाएगा। यह न केवल हिमाचल बल्कि पूरे देश के लिए वैकल्पिक परिवहन व्यवस्था का मील का पत्थर साबित होगी। अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल में बनने वाली ये रोप-वे परियोजनाएं यातायात जाम की समस्या दूर करेंगी, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करेंगी और आधुनिक, पर्यावरण अनुकूल परिवहन का विकल्प प्रदान करेंगी। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं से पर्यटन कारोबार को नई ऊँचाइयां मिलेंगी और हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
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