Sex Power Booster Foods: भारतीय राजा, महाराजा और नवाब अपनी शारीरिक शक्ति, सहनशक्ति और पौरुष शक्ति बढ़ाने के लिए विशेष आहार और जड़ी-बूटियों का सेवन करते थे. ये उपाय आयुर्वेद, यूनानी चिकित्सा और पारंपरिक ज्ञान पर आधारित थे. वे अश्वगंधा, शिलाजीत, सफेद मूसली और कौंच के बीजों का सेवन करते थे, जिनसे यौन शक्ति बढ़ती थी. वे दूध, घी और सूखे मेवों का भरपूर सेवन करते थे, और कच्चे अंडे को साघ्रा के साथ खाते थे.
बादाम का शर्बत
पंजाब के सिख शासक महाराजा रणजीत सिंह नियमित रूप से अश्वगंधा और शिलाजीत का सेवन करते थे. वे बादाम का शर्बत (बादाम, केसर, दूध और मिश्री का मिश्रण) पीते थे. वे घुड़सवारी और व्यायाम पर विशेष जोर देते थे. कहा जाता है कि एक आँख और चेचक के दाग होने के बावजूद, उनकी शारीरिक शक्ति और सैन्य कौशल प्रसिद्ध थे.
सबका अपना खान-पान
आज़ादी से पहले, भारत में लगभग 565 रियासतें थीं. हर रियासत का अपना राजा, महाराजा, नवाब और निज़ाम था. खान-पान से लेकर रहन-सहन तक, उनके स्वाद अनोखे थे.पटियाला के महाराजा भूपेंद्र सिंह इनमें सबसे प्रसिद्ध थे. उनकी लंबाई 6 फीट और वज़न लगभग 136 किलो था, जो एक विशाल आकृति थी. महाराजा के हरम में 350 औरतें थीं.
कामोत्तेजक दवाएं
डोमिनिक लैपियर और लैरी कॉलिन्स ने फ्रीडम एट मिडनाइट में लिखा है कि सर भूपेंद्र सिंह ने कामोत्तेजक दवाएं लेना शुरू कर दिया था. इसके लिए उन्होंने एक विदेशी डॉक्टर को ख़ास तौर पर नियुक्त किया और उसे मोटी तनख्वाह दी.
जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल
पटियाला के महाराजा अपनी ताकत बढ़ाने के लिए मोती, सोना, चाँदी और कई जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करते थे. उनके लिए गौरैया के दिमाग से एक खास दवा तैयार की जाती थी. गौरैया के दिमाग को बारीक़ करके गाजर में मिलाकर एक खास दवा बनाई जाती थी जिसे शक्तिवर्धक माना जाता था.महाराजा नियमित रूप से सोने की राख का सेवन करते थे. तभी वे अपनी सभी रानियों के साथ रात बिता पाते थे.
नई दवाइयां
अवध के आखिरी नवाब, वाजिद अली शाह के पास भी एक खास हकीम था जो उनके लिए हर दिन नई दवाइयाँ तैयार करता था. नवाब का पसंदीदा व्यंजन स्वर्ण भस्म था, जिसे वे दूध के साथ लेते थे.
मुतंजन
नवाब वाजिद अली शाह को मुतंजन भी खास पसंद था. यह खास व्यंजन केसरिया रंग के चावल होते थे जिन्हें काजू, किशमिश, बादाम और अन्य मेवों के साथ पकाया जाता था. इसे खोये और चाँदी की पन्नी के साथ परोसा जाता था. बाद में इसी से मीठा पुलाव बना.
क्या था मुतंजन?
माना जाता है कि मुतंजन की उत्पत्ति मुख्य रूप से मध्य पूर्व से हुई है. कई खाद्य विशेषज्ञों का दावा है कि मुगल रसोइयों ने मुतंजन को भारत में पेश किया, जहाँ यह धीरे-धीरे लोकप्रिय हुआ. लेखक मिर्ज़ा जाफ़र हुसैन ने अपनी किताब “क़दीम लखनऊ की आखिरी बहार” में मुतंजन के बारे में विस्तार से लिखा है,
मुगल बादशाह
जिसमें बताया गया है कि मुगलों से लेकर नवाबों तक, सभी इसे कितना पसंद करते थे. उन्होंने एक विशेष आहार पर मुर्गियां पालीं. वे अंडे खाते थे और हकीमों द्वारा तैयार माजून-ए-इश्क (एक हर्बल पेस्ट) का सेवन करते थे. वे कथक नृत्य और संगीत को तनाव दूर करने का एक तरीका मानते थे. उन्हें “रसिक” नवाब के रूप में जाना जाता था और वे भौतिक सुखों के प्रति अत्यधिक उत्साही थे.
स्वतंत्रता के समय, हैदराबाद के निज़ाम, मीर उस्मान अली, देश के सबसे धनी व्यक्ति थे. निज़ाम खाने-पीने के भी शौकीन थे. डोमिनिक लैपियर और लैरी कॉलिन्स लिखते हैं कि निज़ाम का आहार काफी हद तक निश्चित था. इसमें मलाई, मिठाई, फल, सुपारी और अफीम शामिल थे.
मिठाई का सेवन
निजाम अफीम के भी आदी थे. वे रोज़ाना एक प्याला अफीम के बिना सो नहीं पाते थे. निज़ाम हकीमों द्वारा तैयार एक विशेष प्रकार का दम-ए-कौस (एक विशेष हर्बल सूप) पीते थे. वे बिरयानी और कोरमा जैसे प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ खाते थे.
मछली का सेवन
निज़ाम अपने स्वास्थ्य और विलासिता के लिए प्रसिद्ध थे. बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला नदी की मछली खाते थे, जिसे शक्तिवर्धक माना जाता था. वे पाचन और शक्ति के लिए आयुर्वेदिक चूर्ण लेते थे. वे युवा थे और कहा जाता है कि उन्होंने अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने के लिए एक विशेष आहार का पालन किया था.
च्यवनप्राश का सेवन
धार के शासक, परमार वंश के महाराजा भोज च्यवनप्राश और ब्राह्मी का सेवन करते थे. वे स्वर्ण भस्म मिला हुआ दूध भी पीते थे. वे “राजा भोज” के नाम से प्रसिद्ध थे और विद्वानों के संरक्षक तथा स्वास्थ्य के प्रति सजग व्यक्ति थे.

