झुग्गी में बसर कर रही मुगलों की बहू, चाय बेचकर पाल रही परिवार का पेट; क्या हासिल कर पाएगी लाल किला?

Mughal History: दिल्ली का लाल किला इन दिनों कार ब्लास्ट को लेकर चर्ता में बना हुआ है. इससे पहले मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के परिवार की सदस्य सुल्ताना बेगम इसे पाने के लिए कोर्ट तक पहुंच गई थी. वह खुद को मुगलों का वंशज करती हैं.

Published by Preeti Rajput

Delhi Red Fort: दिल्ली कार ब्लास्ट (Delhi Car Blast) के बाद लालकिला (Lal Quila) एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है. लाल किला हमेशा किसी न किसी बहाने चर्चाओं में बना रहता है. यहां की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रहती है. निर्माण से लेकर अब तक यह लाल किला न जानें कितनी बार चर्चाओं में आ चुका है. यहां पर अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Zafar) अपने परिवार के साथ रहते थे. उन्हीं एक परिवार की एक सदस्य सुल्ताना बेगम ने लाल किले पर मालिकाना हक जताते हुए उसे वापस पाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सुल्ताना बेगम पहले दिल्ली हाईकोर्ट गई उसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. हालांकि उनकी इस याचिका को दोनों कोर्ट ने खारिज कर दिया. 

कौन हैं सुल्ताना बेगम ?

सुल्ताना बेगम पश्चिम बंगाल के हावड़ा में चाय बेचकर अपना गुजारा कर रही हैं. उन्होंने अदालत में दायर अपनी याचिका में कहा था कि “वह अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह ज़फर की वंशज हैं. बहादुर शाह जफर के बेटे मिर्ज़ा बख्तावर शाह के वंश से वह ताल्लुक रखती हैं. इस नाते उनका अधिकार लाल किला पर होना चाहिए. साथ ही याचिका में यह भी मांग की गई थी कि सरकार को इस संपत्ति को मुगल विरासत संपत्ति के रूप में मान्यता प्रदान करनी होगी. उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने युद्ध के दौरान लाल किला को जब्त कर लिया था. अब देश आजाद हो चुका है, तो इस संपत्ति को वापस लौटा देना चाहिए. 

खारिज कर दी थी याचिका

हाई कोर्ट ने इस याचिका को 13 दिसंबर 2024 को खारिज कर दिया था. इसके बाद सुल्ताना बेगम ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया. उस दौरान  जस्टिस संजीव खन्ना ने सवाल किया कि केवल लाल किला ही क्यों, आगरा किला, ताजमहल, फतेहपुर सीकरी सभी मुगलों की बनाई हुई है, इन पर दावा क्यों नहीं किया जा रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को बेतुका बताते हुए खारिज कर दिया था. कोर्ट ने अपना आदेश सुनाते हुए कहा था कि “1947 के बाद से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा लाल किला को संरक्षित किया जा रहा है. अब यह कोई निजी संपत्ति नहीं रह गई है. बल्कि एक राष्ट्रीय संपत्ति है.”

क्या कहता है भारतीय कानून?

भारतीय कानून के तहत ऐतिहासिक स्मारक को निजी स्वामित्व नहीं दिया जा सकता है. Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act, 1958 के तहत, केंद्र सरकार किसी भी ऐतिहासिक स्मारक को राष्ट्रीय महत्व घोषित कर सकती है. इसी कानून के तहत लाल किला को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया है. इसके रखरखाव की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के अधीन आती है. 

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लाल किला का इतिहास

शहंशाह शाहजहां ने लाल किला का निर्माण 1648 में करवाया था. यह मुगलों की सत्ता का गौरव रहा है. लेकिन साल 1857 की क्रांति के बाद इसे अंग्रेजों ने अपने अधीन ले लिया था. अंग्रेजों ने बहादुर शाह ज़फर को रंगून (म्यांमार) निर्वासित कर दिया था. इसके बाद लाल किला ब्रिटिश सेना का अड्डा बन गया. 1947 में आजादी के बाद यह भारत सरकार के अधीन आ गया.  

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