Secularism In Countries: भारत में धर्मनिरपेक्षता (secularism) को लेकर अकसर चर्चा होती रहती है. खास करके राजनीतिक पार्टियां अपनी सहुलियत को देखकर इसका इस्तेमाल करती आई हैं. लेकिन ये वो सिद्धांत है जो व्यक्तियों को अपने धर्म का पालन निजी मामले के रूप में करने की स्वतंत्रता देता है और यह सुनिश्चित करता है कि धर्म समाज के राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पहलुओं में हस्तक्षेप न करें. आज, दुनिया भर के कई देशों ने धर्मनिरपेक्ष नीतियों को अपनाया है, लेकिन स्वीडन इस दिशा में सबसे आगे है.
स्वीडन – सबसे धर्मनिरपेक्ष देश
स्वीडन को दुनिया का सबसे धर्मनिरपेक्ष देश माना जाता है. हालांकि यहां के अधिकांश लोग लूथरन चर्च के सदस्य हैं, फिर भी धर्म को एक सांस्कृतिक परंपरा के रूप में देखा जाता है, न कि एक विश्वास के रूप में. स्वीडिश समाज में शिक्षा, राजनीति और नीति-निर्माण पर धर्म का कोई प्रभाव नहीं है. धार्मिक मान्यताओं की तुलना में समानता, वैज्ञानिक सोच और सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता दी जाती है. यही कारण है कि स्वीडन सार्वजनिक जीवन में पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष बना हुआ है.
डेनमार्क और आइसलैंड – धर्मनिरपेक्षता के उदाहरण
डेनमार्क भी लूथरन ईसाई धर्म में गहराई से निहित है, लेकिन यहां के लोग धार्मिक अनुष्ठानों में धार्मिक विश्वास के कारण नहीं, बल्कि परंपरा के कारण भाग लेते हैं. शिक्षा, कानून और सामाजिक नीतियों के माध्यम से धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बढ़ावा दिया गया है. इसी प्रकार, आइसलैंड, एक छोटा देश होने के बावजूद, धर्मनिरपेक्षता का एक सशक्त उदाहरण है. हालांकि इसका राष्ट्रीय चर्च लूथरन है, फिर भी धार्मिक विश्वास लोगों के दैनिक जीवन में लगभग कोई भूमिका नहीं निभाते. यहां, धर्म मुख्यतः सांस्कृतिक पहचान का एक हिस्सा है, न कि राजनीतिक या सामाजिक प्रभाव.
भारत की स्थिति
भारत का संविधान धर्मनिरपेक्षता की गारंटी देता है और सभी धर्मों को समान मानता है. फिर भी, भारत का 77.8 स्कोर इसे दुनिया के सबसे धर्मनिरपेक्ष देशों की सूची में निचले पायदान पर है. भारत में धर्म और राज्य के बीच पूर्ण अलगाव नहीं है; बल्कि, इसकी संरचना विविधता और सह-अस्तित्व के सिद्धांत पर आधारित है. धार्मिक स्वतंत्रता कायम है, लेकिन सांस्कृतिक परंपराएं और सामाजिक संरचना राजनीति और समाज में धर्म को प्रभावित करती रहती हैं.
हर दिन भारत में इतने लोग सोते हैं भूखे, आकड़ा जान नहीं होगा विश्वास; जान लें इसके पीछे की वजह

