Who is Actress Vidya Malvade : बॉलीवुड की चकाचौंध भरी दुनिया के पीछे कई बार कुछ सितारों की जिंदगी बेहद दर्दनाक और स्ट्रगलों से भरी होती है। ऐसी ही एक एक्ट्रेस हैं विद्या मालवडे, जिन्होंने पर्दे पर भले ही शानदार किरदार निभाए हों, लेकिन उनकी निजी जिंदगी में ऐसा दौर भी आया जब उन्होंने जीने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। आइए जानते हैं, कैसे उन्होंने अपने जीवन की सबसे बड़ी परेशानी को पार कर खुद को फिर से खड़ा किया।
विद्या मालवडे ने 2003 में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। उन्हें ‘चक दे इंडिया’, ‘किडनैप’ और ‘नो प्रॉब्लम’ जैसी फिल्मों में देखा जा चुका है। शाहरुख खान के साथ ‘चक दे इंडिया’ में हॉकी कोच की भूमिका में नजर आकर उन्होंने लोगों का दिल जीत लिया था।
27 की उम्र में टूटा जीवन का सबसे बड़ा सहारा
1997 में विद्या ने पायलट कैप्टन अरविंद सिंह बग्गा से लव मैरिज की थी। दोनों का रिश्ता बहुत ही मजबूत और प्यारभरा था। लेकिन साल 2000 में विद्या की जिंदगी में ऐसा तूफान आया, जिसने सब कुछ बदल दिया। एक प्लेन क्रैश में उनके पति की मृत्यु हो गई। उस समय विद्या सिर्फ 27 साल की थीं।
जब जीने की चाह खत्म हो गई थी
पति की अचानक हुई मौत ने विद्या को पूरी तरह तोड़ दिया था। उन्होंने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि वो गहरे डिप्रेशन में चली गई थीं और आत्महत्या तक करने का मन बना चुकी थीं। उन्होंने नींद की गोलियां तक खरीद ली थीं, लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने उन्हें इस फैसले से रोक दिया।
माता-पिता ने लौटाई जीने की उम्मीद
जब विद्या ने अपने माता-पिता का चेहरा देखा, तो उनकी आंखें खुल गईं। उन्हें अहसास हुआ कि जिंदगी खत्म करने से पहले उन्हें एक बार फिर कोशिश करनी चाहिए। यही सोचकर उन्होंने मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखा और वहां से उनकी नई शुरुआत हुई।
विद्या ने 2003 में फिल्म ‘इंतेहा’ से बॉलीवुड में कदम रखा। धीरे-धीरे उन्होंने अपने अभिनय से पहचान बनानी शुरू की। उनकी जिंदगी फिर से पटरी पर आने लगी और इसी दौरान उनकी मुलाकात फिल्म निर्देशक संजय दायमा से हुई। दोनों के बीच प्यार हुआ और 2009 में उन्होंने शादी कर ली।
एक नई शुरुआत की मिसाल
विद्या मालवडे की कहानी सिर्फ एक एक्ट्रेस की नहीं, बल्कि एक ऐसी महिला की है जिसने जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी के बाद भी हार नहीं मानी। उन्होंने न सिर्फ खुद को संभाला, बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा बन गईं कि कोई भी अंधेरा इतना गहरा नहीं होता कि वहां से रोशनी की एक किरण न निकल सके।

