The Bombay Journey Podcast With Vivek Agnihotri : विवेक अग्निहोत्री जो एक बहुत ही शानदार निर्माता हैं, ने हाल ही में The Bombay Journey के साथ पॉडकास्ट में बातें करते हुए देखा गया है. वो हमें मुंबई की गलियों में एक दिलचस्प सफर पर ले जाते हैं– जहां वो अपने बचपन की यादों, कॉलेज के दिनों, प्रेम कहानी और सिनेमा की सोच को बेबाकी से शेयर करते हैं. ये महज एक इंटरव्यू नहीं, बल्कि एक जीवन यात्रा है, जिसमें स्ट्रगल, पढ़ाई, विवाद और विजन– सब कुछ समाया हुआ है.
विवेक अग्निहोत्री अपनी जड़ों को नहीं भूले. वे बताते हैं कि ग्वालियर में बिताया बचपन और भोपाली स्टाइल मटन बनाना सीखना कैसे उनके जीवन का हिस्सा बना. उनके लिए ये सिर्फ यादें नहीं, बल्कि संस्कार हैं जो आज भी उनकी सोच में झलकते हैं.
तांगे से कई बार गिरे विवेक अग्निहोत्री
विवेक अग्निहोत्री ने पॉडकास्ट की शुरुआत थोड़े हंसी मजाक से की और फिर बाद में बातें हुई शानदार शहर ग्वालियर की. The Bombay Journey ने विवेक से पूछा की थोड़ी ग्वालियर की बातें कर लेते हैं. उन्होंने कहा कि आपकी ग्वालियर की यादें है तो उन्होंने बताया कि मैं बचपन में तांगे में स्कूल जाया करता था. बहुत बार ऐसा होता था कि टेंपो वाले नहीं आते थे, तो वो तांगे से जाते थे. कई बार ऐसा होता था कि घोड़ा बिचक जाता था और तांगा उल्टा हो जाता था, तो मेरे साथ कई बार हुआ है कि मैं तांगे से गिरा हूं.
क्यों बाहर का नहीं खाते विवेक अग्निहोत्री
आगे रबड़ी, जलेबी और गजक पर बात करते हुए उन्होंने बताया की कमाल की है. ग्वालियर से अच्छी गजक कहीं नहीं मिलती है. फिर विवेक ने कहा मुझे मुंबई में पहली बार कोई ऐसा मिला है जो ग्वालियर के बारे में इतना जानता है. उसके बाद विवेक से कहा गया कि आप तो खाने के प्रेमी है लेकिन मैंने सुना है कि आप डाइट पर है तो इस पर विवेक ने कहा डाइट पर नहीं हूं. हम तो फूडी विजार्ड क्लब चलाते थे. पल्लवी मेरी वाइफ और मैं एक कल्ब चलाते थे, जिसमें हर संडे बहुत लोग आते थे. जिसमें मीट और न जानें क्या-क्या बनाते थे. तो करीब 30-40 रहते थे और फिर रात में 11-12 तक लोग जाते थे, क्योंकि भोपाली मीट बनने में टाइम लगता था, लेकिन अब मैं हल्का खाना खाता हूं, पहले मैं खाने का बहुत शौक रखता था. अब मैं बहुत अलग तरह का खाना खाता हूं. अब मैं प्लांट बेस खाना खाता हूं. जो भी टीवी पर दिखाया जाता वो मैं नहीं खाता हूं, क्योंकि मुझे अंदर की असलीयत पता है, कि जितनी भी अनहेल्दी चीज होगी उनका ऐड काफी किया जाएगा.
IMC से पढ़ें हैं विवेक अग्निहोत्री
विवेक अग्निहोत्री ने बताया कि वो जेएनयू के छात्र है वो IMC से पढ़ें हैं और उनसे जब पूछा गया कि आप कांग्रेस पर आवाज उठाते थे, तो उन्होंने कहा हम तो हर चीज पर आवाज उठाते थे, रईस लोगों के खिलाफ, फैशनेबल लोगों के खिलाफ और भी बहुत कुछ. फिर उन्होंने कहा मैं तो लेफटिस्ट हुआ करता था. लेफटिस्ट बच्चों का मतलब ये था कि कोई भी चीज जो कि सक्सेसफुल है और गरीब नहीं है उसके खिलाफ आवाज उठाना, शोषण के खिलाफ आवाज उठाना.
फिर उन्होंने कहा कि जब वो अमेरिका गए तो उन्होंने अपनी ये सोच बदली. उन्होंने कि मैंने वहां जाकर देखा कि वो कितने आगे हैं. भारत अभी पीछे है. यहां पर अभी इनोवेशन नहीं हुआ है. हम दीवाली भी चाइना के प्रोडक्ट से मनाते हैं.

