बॉलीवुड में कई कहानियां ऐसी हैं जहां किस्मत ने कलाकारों की जिंदगी को पलट कर रख दिया। लेकिन जैकी श्रॉफ की डेब्यू फिल्म की कहानी तो कुछ ज्यादा ही फिल्मी है। कम ही लोग जानते हैं कि ‘हीरो‘ जैसी आइकॉनिक फिल्म, जो जैकी श्रॉफ के करियर का टर्निंग पॉइंट बनी, दरअसल पहले संजय दत्त को ऑफर की गई थी। लेकिन उनकी गैर-जिम्मेदाराना आदतों ने ये मौका छीनकर जग्गू दादा की झोली में डाल दिया।
1981 में फिल्म रॉकी के साथ संजय दत्त ने धमाकेदार एंट्री की। उनकी पहली ही फिल्म ने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया था। इसी सफलता से प्रभावित होकर फेमस फिल्ममेकर सुभाष घई ने संजय को दो बड़ी फिल्मों के लिए साइन किया जिसका नाम था विधाता और हीरो। उस समय इंडस्ट्री में ये बात चल पड़ी थी कि संजय ही अगला सुपरस्टार बनने वाले हैं।
लेकिन आदतें बन गईं करियर की दुश्मन
संजय दत्त की उस दौर की सबसे बड़ी कमजोरी थी – उनकी ड्रग्स की लत। विधाता की शूटिंग के दौरान वो अक्सर सेट पर देर से आते, या कभी-कभी आते ही नहीं। जबकि फिल्म में दिलीप कुमार, संजीव कुमार और शम्मी कपूर जैसे दिग्गज एक्टर्स काम कर रहे थे, जो समय की कीमत को बखूबी समझते थे। संजय की ये आदतें सुभाष घई को लगातार परेशान कर रही थीं।
सुभाष घई ने लिया बड़ा फैसला
विधाता को किसी तरह पूरा करने के बाद सुभाष घई ने तय किया कि हीरो में अब उन्हें नया चेहरा चाहिए। संजय के अनप्रोफेशनल रवैये से थक चुके घई को एक ऐसे एक्टर की तलाश थी, जो जिम्मेदार और डेडिकेटेड हो। और यहीं पर किस्मत ने जैकी श्रॉफ का दरवाजा खटखटाया।
जग्गू दादा की एंट्री और स्टारडम की शुरुआत
जैकी श्रॉफ ने उस वक्त तक सिर्फ एक फिल्म स्वामी दादा में छोटा सा अनक्रेडिटेड रोल किया था। लेकिन सुभाष घई को उनमें कुछ खास नजर आया। उन्होंने जैकी को हीरो में कास्ट कर लिया- वही फिल्म जो पहले संजय दत्त के नाम थी। हीरो रिलीज होते ही जैकी श्रॉफ रातों-रात सुपरस्टार बन गए और ये फिल्म आज भी उनकी पहचान बनी हुई है।
एक छूटा मौका, एक नई शुरुआत
इस कहानी से ये साफ हो जाता है कि बॉलीवुड में सिर्फ टैलेंट ही नहीं, प्रोफेशनलिज्म भी बेहद जरूरी है। अगर संजय दत्त समय पर सेट पर आते, तो शायद हीरो उनकी फिल्म होती। लेकिन उनकी चूक ने जैकी श्रॉफ को वो प्लेटफॉर्म दिया, जिससे उन्होंने खुद को एक लीजेंड बना लिया।

