Dharmendra Prayer Meet: दिल्ली की प्रार्थना सभा में टूटी हेमा मालिनी, पति धर्मेंद्र को याद कर हुई बेहद इमोश्नल..!

Hema Malini Breaks Down at Dhramendra Prayer Meet: दिल्ली में हेमा मालिनी ने बेटियों ईशा और आहना के साथ धर्मेन्द्र की याद में प्रार्थना सभा रखी. उन्होंने भावुक होकर बताया कि धर्मेन्द्र ने हमेशा परिवार का साथ दिया और बेटियों व पोतों से गहरा स्नेह रखा.

Published by sanskritij jaipuria

Dharmendra Prayer Meet: दिल्ली में 11 दिसम्बर को एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया, जिसमें वरिष्ठ एक्ट्रस और राजनेता हेमा मालिनी अपनी बेटियों ईशा देओल और आहना देओल के साथ पहुंचीं. ये सभा उनके जीवनसाथी और फेमस एक्टर धर्मेन्द्र की याद में रखी गई थी. माहौल शांत और भावुक था, जहां परिवार, मित्र और कई जानी-मानी हस्तियां मौजूद थीं.

स्मरण सभा के मंच पर खड़ी हेमा मालिनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सकीं. उन्होंने कहा कि फिल्मों में जिनके साथ उन्होंने प्रेम की एक्टिंग की, वही उनके असली जीवन के साथी बने.
उन्होंने कहा कि दोनों के बीच सच्चा विश्वास था और इसलिए दोनों हर परिस्थिति का सामना साथ-साथ कर पाए. हेमा मालिनी ने बताया कि धर्मेन्द्र हमेशा उनके फैसलों में साथ खड़े रहे. जीवन के छोटे-बड़े हर मोड़ पर उन्होंने पत्नी को सहारा दिया और हिम्मत बंधाई।

परिवार के प्रति स्नेह

हेमा मालिनी ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि धर्मेन्द्र न केवल एक अच्छे पति थे, बल्कि अपनी बेटियों ईशा और आहना के लिए एक बेहद प्यार करने वाले पिता भी थे. उन्होंने बताया कि दोनों बेटियां उनकी ताकत थीं और धर्मेन्द्र हमेशा उनकी खुशियों से प्रसन्न रहते थे.

परिवार की अगली पीढ़ी, उनके पांचों पोतों-पोतियों से भी धर्मेन्द्र बेहद लगाव रखते थे. बच्चों के साथ समय बिताना उन्हें बहुत अच्छा लगता था. हेमा मालिनी के अनुसार, धर्मेन्द्र हमेशा उनसे कहते थे कि इस परिवार का ख्याल बनाए रखना.

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प्रार्थना सभा में उपस्थित विशेष अतिथि

नई दिल्ली के जनपथ स्थित डॉ. भीमराव आंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में आयोजित इस सभा में राजनीतिक और फिल्म जगत की कई हस्तियां पहुंचीं. कार्यक्रम में वरिष्ठ नेताओं, कलाकारों और अन्य सम्मानित अतिथियों ने धर्मेन्द्र के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान व्यक्त किया.

धर्मेंद्र जी की आखिरी इच्छा

इस मौके पर हेमा मालिनी ने अपने संबोधन में धर्मेंद्र की अंतिम इच्छा के बारे में भा बताया- उन्होंने बताया कि जीवन के आखिरी पड़ाव में धर्मेंद्र ने उर्दू शायरी लिखना शुरू कर दिया था. शुरुआत से ही उन्हें शेरो-शायरी से गहरा लगाव था, लेकिन इस दौर में यह उनके लिए एक नया जुनून बन चुका था. हेमा मालिनी ने कहा कि परिवार के सभी लोग उनकी इस रुचि से परिचित थे. उन्होंने धर्मेंद्र को सुझाव दिया था कि अपनी लिखी हुई शायरियों को एक किताब के रूप में संजोकर छपवाएं. ये बात सुनकर वो बेहद खुश हुए थे, लेकिन दुख की बात यह रही कि ये सपना उनके पूरे होने से पहले ही अधूरा रह गया.

 

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