Delhi Riots Case Kapil Mishra: दिल्ली की एक सत्र अदालत ने सोमवार (10 नवंबर, 2025) को दिल्ली के कानून एवं न्याय मंत्री और भाजपा नेता कपिल मिश्रा की 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में कथित भूमिका की जांच के लिए एक मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया. राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश दिग विनय सिंह, मिश्रा द्वारा उस आदेश के विरुद्ध दायर एक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें 24 से 26 फ़रवरी, 2020 के बीच उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में उनकी कथित भूमिका की आगे जांच करने का निर्देश दिया गया था. इन दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 500 से ज़्यादा घायल हुए थे.
इलियास ने की थी ये मांग (Ilyas had made this demand)
इलियास ने मिश्रा के साथ-साथ दयालपुर थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी (एसएचओ) और भाजपा नेता मोहन सिंह बिष्ट व जगदीश प्रधान सहित पाँच अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी. इसके एक हफ्ते के बाद दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा द्वारा सत्र अदालत का रुख करने पर अदालत ने इन निर्देशों पर रोक लगा दी थी.
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अमित प्रसाद ने दिया ये तर्क (Amit Prasad gave this argument)
दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ, जिसका प्रतिनिधित्व विशेष लोक अभियोजक (SPP) अमित प्रसाद कर रहे थे. उन्होंने अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि जिस मजिस्ट्रेट अदालत ने आगे जांच का आदेश दिया था, उसके पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है. विशेष लोक अभियोजक (SPP) प्रसाद ने अदालत को बताया था कि दंगों में मिश्रा की कथित भूमिका की जांच हो चुकी है और वह दंगों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि उनके खिलाफ कोई भी आपत्तिजनक सामग्री नहीं मिली है.
यमुना विहार निवासी इलियास ने लगाया था आरोप (Ilyas, a resident of Yamuna Vihar, had made the allegation)
यमुना विहार निवासी इलियास ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि उसने मिश्रा और अन्य लोगों को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कर्दमपुरी में एक सड़क को अवरुद्ध करते और विक्रेताओं के ठेलों को नष्ट करते देखा था. उन्होंने यह भी दावा किया था कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली के तत्कालीन पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) अन्य पुलिसकर्मियों के साथ मिश्रा के बगल में खड़े थे और प्रदर्शनकारियों को इलाका खाली करने या परिणाम भुगतने की चेतावनी दे रहे थे.
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