Aga Syed Muntazir Mehdi: बडगाम विधानसभा उपचुनाव में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के उम्मीदवार आगा सैयद मुंतज़िर मेहदी ने शुक्रवार, 14 नवंबर को नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के उम्मीदवार आगा सैयद महमूद को 4,478 वोटों के अंतर से हराकर जीत हासिल की. आखिरी काउंटिंग में PDP को 21,576 और एनसी को 17,098 वोट मिले. यह निर्णायक जीत सेंट्रल कश्मीर में PDP के लिए एक महत्वपूर्ण बढ़त है, जिसने पिछले विधानसभा चुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह द्वारा जीती गई सीट को पुनः हासिल कर लिया है.
कड़ा मुकाबला
बडगाम उपचुनाव में 17 उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला. हालांकि, अहम मुकाबला दो शिया नेताओं – PDP के आगा मुंतज़िर मेहदी और NC के आगा सैयद महमूद के बीच था. अन्य प्रमुख दावेदारों में BJP के सैयद मोहसिन, अवामी इत्तेहाद पार्टी के नज़ीर अहमद खान, आम आदमी पार्टी (AAP) की दीबा खान और निर्दलीय उम्मीदवार मुंतज़िर मोहिउद्दीन शामिल थे.
PDP के आगा सैयद मुंतज़िर मेहदी ने कहा कि यह हमारी 50 सालों की मेहनत का नतीजा है और 2024 में जिस तरह बडगाम के लोगों को नज़रअंदाज़ किया गया, आज बडगाम के लोगों ने उसका करारा जवाब दिया है. अगर हम जम्मू-कश्मीर के लोगों के जीवन में बदलाव लाना चाहते हैं, तो इसकी शुरुआत बडगाम से होगी. आज का जनादेश नेशनल कॉन्फ्रेंस को जम्मू-कश्मीर के लोगों से किए गए अपने वादों को पूरा करने के लिए मजबूर करेगा.
वोटिंग और काउंटिंग
उपचुनाव में 50.02 प्रतिशत मतदान हुआ. बडगाम के गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल में सुबह 8 बजे काउंटिंग शुरू हुई, जिसकी शुरुआत डाक बैलट पेपर से हुई और उसके बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से मतदान हुआ. बडगाम सीट में कुल लगभग 1.26 लाख रजिस्टर्ड मतदाता थे, जो इसे सेंट्रल कश्मीर की राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सीटों में से एक बनाता है.
उमर अब्दुल्ला के कदम से खालीपन
यह उपचुनाव मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह द्वारा बडगाम सीट खाली करने के बाद ज़रूरी हो गया था. उन्होंने पिछले साल विधानसभा चुनावों में दोनों सीटों से जीत हासिल करने के बाद अपने पारिवारिक गढ़ गांदरबल को बरकरार रखने का फैसला किया था. उनके जाने से एक गतिशील मुकाबले का रास्ता खुल गया है, जिससे PDP और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के बीच सीधा मुकाबला हो गया है.
राजनीतिक महत्त्व
आगा मुंतज़िर मेहदी की जीत को PDP के लिए मनोबल बढ़ाने वाला माना जा रहा है, जो कश्मीर घाटी में अपनी उपस्थिति मजबूत करने के लिए काम कर रही है. यह नतीजा दिखाता है कि क्षेत्र की राजनीति बदल रही है, और नए राजनीतिक समीकरणों के बीच पुरानी निष्ठाएं भी अब परखी जा रही हैं.

