Bihar Vidhan Sabha Chunav: बिहार विधानसभा चुनाव में दो चरण पूरे हो चुके हैं. आज 14 नवंबर को रिजल्ट का दिन है. आज फैसला हो जाएगा कि NDA या महागठबंधन किसकी जीत होगी? बिहार की सियास्त में दोस्ती-दुश्मनी की नई इबारत लिखी जा रही है. महागठबंधन के मुख्य चेहरे राहुल गांधी-तेजस्वी यादव जो खुद को युवा मानते हैं वो 75 साल के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार का अनुभव ज्यादा काम आ रहा है.
बिहार में एनडीए जीत की ओर बढ़ता दिख रहा है. जबकि महागठबंधन एक बार फिर से हार की ओर राजनीतिक जानकारों के अनुसार इसके पीछे कई वजह हैं. इनमें से एक वजह ह कांग्रेस का कमजोर कड़ी साबित होना उसी के चलते महागठबंधन भी कमजोर साबित हो रही है. सुबह 10 बजे से रुझानों में कांग्रेस केवल 10 सीटों पर ही लीड कर रही है. उसे 9 सीटों का नुकसान हो सकता है. वहीं 2020 में कांग्रेस के पास 19 सीटें थीं तब पार्टी 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. 10 सीटों पर लीड के हिसाब से देखें तो स्ट्राइक रेट 20% से भी नीचे दिख रहा है.
बिहार चुनाव से पहले राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव जिन्हें युवाओं की जोड़ी कहा जाता है. पर इस बार ये महागठबंधन की जोड़ी रिजल्ट के दिन साइलेंट मोड में चली गई है. महागठबंधन में कांग्रेस का सबसे अधिक सीटें लेकर भी कमजोर परिणाम देना तेजस्वी और लालू यादव के लिए हमेशा तनाव का विषय रहा है. महागठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा के बाद राहुल गांधी साइलेंट मोड में चले गए. तेजस्वी को सीएम फेस घोषित करने में भी वो कई मौकों पर साइलेंट रहे. ऐसे में महागठबंधन की फजीहत हुई.
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नीतीश कुमार कब से हैं राजनीति का हिस्सा
नीतीश कुमार 1989 से बिहार की राजनीति का हिस्सा हैं. वो 2005 से 2014 तक बिहार के मुख्यमंत्री और 2015 से 2017 में सीएम के रूप में रहें. उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया पर एक बार फिर एनडीए से हाथ मिला लिया नीतीश ने 2023में 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। वे बिहार के सबसे लंबे समय तक रहने वाले मुख्यमंत्री हैं. वह जनता दल यू राजनीतिक दल के प्रमुख नेताओं में से हैं. यही वजह है कि उन्हें काफी अनुभव है जिसकी वजह से लोग उन पर विश्वास करते हैं और उन्हें सीएम फेस के रूप में देखना चाहते हैं. इस बार भी महागठबंधन की लुटिया डूबती नज़र आ रही है और NDA अभी तक के रुझानों में आगे है.
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