Bihar Chunav: तेजस्वी यादव के राजनीतिक रणनीतिकार और सलाहकार संजय यादव को लेकर लालू परिवार में विवाद गहराता दिख रहा है. तेज प्रताप यादव तो उनकी भूमिका पर सवाल उठा ही चुके हैं. अब राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने भी बिना नाम लिए उनकी भूमिका पर सवाल उठाए हैं. हालांकि सवाल यह है कि तेजस्वी यादव और संजय यादव के बीच कितनी गहरी दोस्ती है, वे कब से साथ हैं और उनकी दोस्ती इतनी गहरी कैसे हो गई कि लालू परिवार में दरार पड़ती दिख रही है. तेजस्वी यादव के जीवन में संजय यादव की क्या भूमिका है? तेजस्वी यादव के साथ संजय यादव का रिश्ता कितना पुराना कितना गहरा और कितना विवादित रहा है?
संजय यादव का तेजस्वी यादव से रिश्ता कैसे बना? (How did Sanjay Yadav develop a relationship with Tejashwi Yadav?)
बता दें है कि संजय यादव राज्यसभा सांसद हैं और राजद नेता तेजस्वी यादव के सलाहकार-रणनीतिकार के तौर पर जाने जाते रहे हैं. माना जाता है कि उनकी दोस्ती और साझेदारी तब शुरू हुई जब लालू प्रसाद यादव (चारा घोटाला मामले में) जेल गए और तेजस्वी यादव को पार्टी की कमान संभालनी पड़ी. संजय यादव उस समय तेजस्वी के साथ काम करने पटना आए थे और धीरे-धीरे उनकी भूमिका तेजस्वी की आँख, नाक और कान के रूप में देखी जाने लगी. हालांकि संजय यादव की यही भूमिका लालू परिवार के भीतर विवाद का कारण बन गई है.
तेजस्वी यादव के लिए संजय यादव रही रणनीतिक भूमिका (Sanjay Yadav played a strategic role for Tejashwi Yadav)
राजनीति के जानकारों के अनुसार, संजय यादव ने रुझान बदलने की कोशिश में तेजस्वी यादव को ‘युवा, आधुनिक नेता’ के रूप में स्थापित करने में मदद की है. पार्टी की छवि को लालू‑परंपरा से जुड़ी पुरानी शैली से जोड़ने के बजाय सामाजिक‑आर्थिक न्याय, युवा, पिछड़ा वर्ग जैसे मुद्दों पर जोर देने में उनकी भूमिका देखी जाती रही है. संजय यादव की अगुवाई में बनाई गई यह रणनीति तेजस्वी यादव को पार्टी नेतृत्व में मजबूत स्थिति दिलाने का माधय्म बनी है.
तेजस्वी यादव के लिए संजय यादव की रणनीतिक भूमिका (Sanjay Yadav’s strategic role for Tejashwi Yadav)
राजनीतिक जानकारों के अनुसार संजय यादव ने इस चलन को बदलने के प्रयास में तेजस्वी यादव को एक युवा, आधुनिक नेता के रूप में स्थापित करने में मदद की है. उन्हें पार्टी की छवि को लालू की परंपरा से जुड़ी पुरानी शैली से जोड़ने के बजाय सामाजिक-आर्थिक न्याय युवाओं और पिछड़े वर्गों जैसे मुद्दों पर ज़ोर देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते देखा गया है. संजय यादव के अगुवाई में विकसित इस रणनीति ने पार्टी नेतृत्व के भीतर तेजस्वी यादव की मजबूत स्थिति दिलाने का माधय्म बनी है.
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तेज प्रताप से शुरू हुआ असंतोष और विवादों का सिलसिला (Tej Pratap started a series of discontent and controversies)
हालांकि जैसे-जैसे संजय यादव की भूमिका बढ़ी तेजस्वी यादव के बड़े भाई तेज प्रताप यादव संजय यादव की भूमिका पर सवाल उठाने लगे. उन्होंने अक्सर सार्वजनिक मंचों पर संजय यादव को “जयचंद” जैसे शब्दों से संबोधित किया है. तेज प्रताप यादव ने कभी उनका नाम नहीं लिया. लेकिन हमेशा संजय के प्रभाव और लड़ने की शैली को निर्णायक बताने की कोशिश की है. दरअसल जानकारों का कहना है कि परिवार के भीतर इस तरह की भावनाओं का उभरना इस बात की चेतावनी है कि संजय यादव के बढ़ते प्रभाव के कारण कुछ सदस्यों को डर है कि पारंपरिक नेतृत्व की स्थिति बदल रही है.
रोहिणी आचार्य की प्रतिक्रिया और नया राजनीतिक विवाद (Rohini Acharya’s reaction and new political controversy)
हाल ही में “बिहार अधिकार यात्रा” के दौरान एक तस्वीर वायरल हुई जिसमें संजय यादव प्रचार बस की अगली सीट पर बैठे दिखाई दे रहे थे. जहां पारंपरिक नेता (तेजस्वी यादव) बैठते हैं. एक सोशल मीडिया यूजर ने यह तस्वीर देखकर लिखा. “आगे की सीट हमेशा शीर्ष नेता के लिए होती है… अगर कोई खुद को उससे ऊपर समझता है तो क्या कहा जा सकता है? रोहिणी आचार्य ने इसे अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया और बिना किसी टिप्पणी के इसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी. माना गया कि वह संजय यादव की भूमिका से असंतुष्ट थीं. हालांकि बाद में राजद ने नुकसान कम करने की कोशिश की और दो दलित नेताओं को एक ही सीट पर बिठाकर कहानी पलटने की कोशिश की लेकिन तब तक राजनीतिक कहानी एक अलग मोड़ ले चुकी थी.
बिहार चुनाव को लेकर संगठन और परिवार पर असर (Bihar elections impact on the organization and family)
राजद और लालू परिवार के बीच यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब आगामी बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां ज़ोरों पर हैं. इस बीच राजद के भीतर एकता और नेतृत्व की स्पष्टता जनता के लिए एक मुद्दा बन सकती है. इस बीच राजद के भीतर यह स्पष्ट है कि अगर संजय यादव की भूमिका एक रणनीतिकार से आगे बढ़ती है.तो परिवार का शक्ति संतुलन प्रभावित हो सकता है. हालांकि यह एक महत्वपूर्ण तथ्य और सच्चाई है कि संजय यादव की भूमिका केवल राजनीतिक सलाह तक ही सीमित नहीं रही बल्कि नेतृत्व में उपस्थिति कार्यक्रमों में उपस्थिति और सार्वजनिक रूप से उपस्थिति तक भी पहुंच गई है. जो पद और सम्मान की सीमाओं को पार कर गई है. जो विवाद का विषय बन गया है.
क्या संजय यादव लालू परिवार को देंगे चुनौती?
हालांकि ये एक सच्चाई है कि राजद की आंतरिक गतिशीलता में संजय यादव की बढ़ी हुई भूमिका चुनावी रणनीति पार्टी की छवि और नेतृत्व समर्थन में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है. लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद संजय यादव ने तेजस्वी यादव की राजनीतिक छवि बनाने और संगठन को मज़बूत करने के लिए व्यापक रूप से काम किया है. हालांकि ये भी एक सच्चाई है कि परिवार के वरिष्ठ सदस्यों के बीच असमंजस और नाराज़गी पनप रही है. तेज प्रताप यादव और मीसा भारती पहले ही बयान जारी कर चुके हैं. रोहिणी आचार्य की हालिया पोस्ट और तस्वीर से संकेत मिलता है कि नेतृत्व सम्मान और रणनीतिक सलाहकार भूमिकाओं के संतुलन को लेकर राजद के भीतर का टकराव अब सार्वजनिक हो गया है. ज़ाहिर है कि बिहार चुनाव को देखते हुए, यह विवाद राजद की एकता और नेतृत्व की विश्वसनीयता के लिए एक बड़ी चुनौती है.
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