बिहार की सियासत में विधानसभा सीटों का अपना-अपना इतिहास और महत्व होता है. इन्हीं में से एक है बिक्रम विधानसभा सीट, जो पटना जिले की सबसे दिलचस्प और उतार-चढ़ाव वाली सीट मानी जाती है. यहाँ के मतदाताओं ने समय-समय पर अलग-अलग दलों पर भरोसा जताया है. कभी कांग्रेस, कभी भाजपा, तो कभी वामदल और लोजपा तक को मौका दिया है. पार्टियाँ बदलती रहीं, चेहरे भी बदले, लेकिन इस सीट की राजनीतिक गर्माहट हमेशा बरकरार रही. अब सवाल है बिक्रम सीट पर आखिर किसका प्रभाव सबसे मजबूत रहा है और क्यों? आइए जानते हैं इस सीट का पूरा चुनावी सफर.
पटना बिहार के 38 जिलों में से एक है। पटना ज़िला छह अनुमंडलों और 23 प्रखंडों में विभाजित है. ज़िले में 14 विधानसभा सीटें हैं. इनमें मोकामा, बाढ़, बख्तियारपुर, दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब, फतुहा, दानापुर, मनेर, फुलवारी (SC), मसौढ़ी (SC), पालीगंज और बिक्रम शामिल हैं. हमारी “सीट समीकरण” श्रृंखला में, हम बिक्रम विधानसभा सीट पर चर्चा करेंगे. बिक्रम सीट के लिए पहला चुनाव 1957 में हुआ था.
किसने कब चुनाव जीता?
1957 – कांग्रेस की मनोरमा देवी जीतीं
1962 – कांग्रेस की मनोरमा देवी जीतीं
1967 – कांग्रेस के एम. गोप जीते
1969 – भारतीय क्रांति दल के खेदरन सिंह जीते
1972 – कांग्रेस (ओ) के खेदरन सिंह जीते
1977 – जनता पार्टी के कैलाश पति मिश्रा जीते
1980, 1985, 1990 और 1995 – भाकपा के रामनाथ यादव लगातार चार बार जीते
2000 – भाजपा के रामजन्म शर्मा जीते
फरवरी 2005 – लोजपा के अनिल कुमार जीते
अक्टूबर 2005 – भाजपा के टिकट पर अनिल कुमार जीते
2010 – भाजपा के अनिल कुमार फिर से जीते
2015 – कांग्रेस के सिद्धार्थ जीते
2020 – कांग्रेस के सिद्धार्थ सौरभ जीते

