Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव अब ज्यादा दूर नहीं हैं. वहीं इन तैयारियों के बीच महागठंधन और NDA में जुबानी वाद-विवाद जारी है वहीं दोनों ही जीत हासिल करने की होड़ में लगे हुए हैं. इस बीच आपको बता दें हाल ही में महागठबंधन ने अपना CM चेहरा और डिप्टी CM चेहरा चुन लिया है, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि महागठबंधन में तेजस्वी यादव को CM चेहरा घोषित किया गया है. वहीं मुकेश सहनी को डिप्टी CM चेहरा घोषित किया गया है. वहीं अब सवाल उठता है कि क्या मुकेश सहनी NDA के वर्तमान डिप्टी CM सम्राट चौधरी को टक्कर दे पाएंगे या नहीं? चलिए जान लेते हैं कि किस में है कितना दम.
जाति के आधार पर NDA-महागठबंधन का बड़ा फैसला
भारतीय राजनीति में जाति और धर्म ने हमेशा निर्णायक भूमिका निभाई है. चाहे वोट की राजनीति हो या सत्ता का गणित, हर चुनाव में यह सवाल उठता है कि कौन किस जाति से है और उसे किस समुदाय का कितना समर्थन मिलेगा. यही कारण है कि नेताओं का राजनीतिक सफ़र अक्सर उनकी जातीय पहचान और सामाजिक पृष्ठभूमि से गहराई से जुड़ा होता है. बिहार जैसे राज्यों में ये समीकरण और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं, जहाँ हर सीट पर जातीय संतुलन ही तय करता है कि कौन जीतेगा.
सम्राट चौधरी का इतिहास
जैसा की आप सभी जानते हैं कि सम्राट चौधरी बिहार की राजनीति में अक्सर चर्चा में रहे हैं. नीतीश कुमार द्वारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बनने के बाद, उन्हें बिहार का उप-मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया. लेकिन लोग न केवल उनकी राजनीतिक स्थिति, बल्कि उनकी जाति, परिवार और उनके पूरे राजनीतिक सफर को लेकर भी उत्सुक हैं. सम्राट चौधरी बिहार की राजनीति में एक प्रमुख हस्ती हैं. वे वर्तमान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार में 28 जनवरी, 2024 से बिहार के उपमुख्यमंत्री हैं. बिहार विधान परिषद के सदस्य होने के नाते, उन्होंने लंबे समय से पार्टी में संगठन से लेकर सरकार तक, महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. मार्च 2023 में, उन्हें भाजपा का बिहार प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया.
NDA में सम्राट चौधरी के क्या मायने
सम्राट चौधरी का जन्म कुर्मी जाति में हुआ था. बिहार की राजनीति में कुर्मी समुदाय को एक बड़ा और मज़बूत वोट बैंक माना जाता है. यही वजह है कि भाजपा लंबे समय से उन्हें अपने ओबीसी चेहरे के रूप में आगे रखती रही है. वहीं आपकी जानकारी के लिए बता दें कि CM नीतीश कुमार भी इसी जाति से ताल्लुक रखते हैं.
मुकेश सहनी को महागठबंधन क्यों दे रहा तवज्जो
मुकेश सहनी द्वारा गंगा किनारे कई ज़िलों में मल्लाह जाति की आबादी की तस्वीरें ली गई हैं. ऐसा माना जाता है कि सहनी के समर्थकों ने बुनियादी ढाँचे के निर्माण का वादा इसलिए पूरा नहीं किया क्योंकि इससे बिहार में अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के मतदाताओं की हिस्सेदारी बढ़ सकती थी. राज्य में अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) श्रेणी में मल्लाह मतदाताओं के लिए कई सीटें शामिल हैं. मुकेश सहनी ने एक बार ‘आईपी’ का अर्थ यह कहकर समझाया था, “लोकतंत्र में जिसके पास ज़्यादा लोग होते हैं, उसे ज़्यादा मिलता है.” राजनीतिक सिद्धांत यह मानता है कि समर्थकों के बीच उन्हें बढ़ावा देकर, समर्थकों ने अति पिछड़ा वर्ग और हाशिए पर पड़े लोगों को आकर्षित करने की कोशिश की है.
- लेकिन कुछ राजनीतिक विश्लेषक इसे महागठबंधन का एक गलत फैसला मान रहे हैं. उनका कहना है कि मुकेश सहनी को इतना महत्व देने से मुस्लिम मतदाता निराश हो सकते हैं.
जानिए कौन हैं मुकेश सहनी ?
1981 में दरभंगा के एक मछुआरा परिवार में जन्मे मुकेश सहनी खुद को “मल्लाह का बेटा” कहते हैं. 19 साल की उम्र में, उन्होंने बिहार छोड़ दिया और मुंबई में सेल्समैन के रूप में काम करना शुरू कर दिया. इसके बाद उन्होंने बॉलीवुड में सेट डिज़ाइनर के रूप में प्रवेश किया. उन्होंने शाहरुख खान की “देवदास” और सलमान खान की “बजरंगी भाईजान” जैसी हिट फिल्मों के सेट डिज़ाइन पर काम किया. मुंबई में उनकी मुकेश सिने वर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड नामक एक कंपनी थी.

