वो 5 बड़े कारण, जिसकी वजह से अप्रत्याशित जीत की तरफ बढ़ रही NDA; तिनका तक नहीं बचा पाया महागठबंधन

Bihar Election 2025: बिहार चुनाव के नतीजे आने शुरू हो गए हैं और शुरूआती रुझानों में NDA अप्रत्याशित जीत की तरफ बढ़ रहा है. ऐसे में आइए उन 5 कारणों पर चर्चा करेंगे जिसकी वजह से NDA प्रचंड जीत की तरफ बढ़ रही है.

Published by Sohail Rahman

Bihar Election Results 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे घोषित हो रहे हैं. चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला एनडीए एक बार फिर सत्ता में वापसी करता दिख रहा है. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू शानदार प्रदर्शन करती दिख रही है. अब तक के रुझानों की बात करें तो बीजेपी 87 और जदयू 76 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं. ऐसे में आज हम उन 5 कारणों की बात करेंगे जिनकी वजह से एनडीए अप्रत्याशित जीत की तरफ बढ़ रही है.

पहला कारण: महिलाओं के लिए 10,000

2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के शानदार प्रदर्शन के पीछे महिलाओं की अहम भूमिका मानी जा रही है. इस बार पुरुषों के मुकाबले 9% ज्यादा महिलाओं ने वोट दिया. चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार ने ‘महिला रोजगार योजना’ के तहत महिलाओं के खातों में 10-10 हज़ार रुपये जमा कराए थे. अब माना जा रहा है कि इसका असर सिर्फ़ वोटिंग में ही नहीं, बल्कि नतीजों पर भी दिख रहा है. तेजस्वी ने महिलाओं के सम्मान के लिए 30,000 रुपये की एकमुश्त राशि देने का भी वादा किया था, लेकिन यह भविष्य का वादा था, इसलिए मतदाताओं को इस पर भरोसा करना मुश्किल हो सकता है.

दूसरा कारण: बिहार में नीतीश कुमार

बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार एक ऐसा नाम हैं जिनके बारे में बड़े-बड़े राजनीतिक पंडित भी भविष्यवाणी नहीं कर सकते. दिवंगत पत्रकार संकर्षण ठाकुर ने अपनी किताब “अकेला आदमी – नीतीश कुमार की कहानी” में लिखा है कि जब भी यह कहा गया कि नीतीश कुमार का अंत होने वाला है, उन्होंने दोगुनी ताकत से वापसी की. इस बार के चुनावों के दौरान भी ऐसी ही अटकलें लगाई जा रही थीं. लेकिन अब जब जेडीयू नतीजों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, तो यह भी कहा जा रहा है कि यह नीतीश कुमार का आखिरी चुनाव हो सकता है, और इसलिए जनता ने उन्हें “विदाई उपहार” के रूप में मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है.

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तीसरा कारण: मोदी-शाह का प्रचार

बिहार में एनडीए सरकार की प्रचंड जीत के पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्रचार को एक बड़ा कारण माना जा रहा है. दोनों दिग्गज नेताओं ने चुनावों के दौरान राज्य में अथक परिश्रम किया और ऐसे मुद्दे उठाए जिनका बिहार की जनता से सीधा संबंध था. “जंगलराज” और “कट्टा पॉलिटिक्स” इसी प्रचार रणनीति के उदाहरण हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की रैलियों और रोड शो ने भी यहाँ के माहौल को और बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाई.

चौथा कारण: राजद-कांग्रेस में दरार

एनडीए के शानदार प्रदर्शन और महागठबंधन की हार का एक और कारण बिहार में राजद और कांग्रेस के बीच तनाव था. चुनाव की घोषणा के बाद दोनों दल पहले चरण के नामांकन की आखिरी तारीख से एक रात पहले तक सीटों के बंटवारे और किस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना है, इस पर अंतिम फैसला नहीं ले पाए थे. राजद और कांग्रेस दोनों ने कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. इससे जनता में यह गलत संदेश गया होगा कि अगर वे सत्ता में आए, तो पूरे 5 साल तक इसी तरह की अंदरूनी कलह देखने को मिलेगी.

पांचवा और सबसे बड़ा कारण: केंद्र में एनडीए सरकार

बिहार में बहार और नीतीश कुमार की सत्ता में वापसी का पांचवां और सबसे महत्वपूर्ण कारण केंद्र में एनडीए सरकार है. नीतीश कुमार की पार्टी भी एक प्रमुख सहयोगी है. इसलिए, अगर बिहार को अपने विकास को गति देने के लिए केंद्र से मदद की ज़रूरत पड़ी, तो वह आसानी से उपलब्ध होगी. यही वजह है कि जनता ने महागठबंधन की तुलना में नीतीश कुमार और एनडीए के वादों पर ज़्यादा भरोसा दिखाया है. 

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