Method of Planting Sandalwood Trees: पैसा कमाना हर किसी का सपना और जरूरत है. ऐसे में कई लोग बिजनेस ट्रिक्स खोजते हैं तो कुछ नौकरियां करते हैं. आज के समय में खेती से अमीर बनने के बारे में बहुत कम लोग सोचते हैं. लेकिन, सही चीज की खेती एक बार की मेहनत से करोड़पति बना सकती है. जी हां, यह कोई हवा-हवाई बातें नहीं है बल्कि एक ऐसी चीज है जिसे ग्रीन गोल्ड कहा जाता है. अगर इसकी सही खेती कर ली जाए तो 12-15 सालों में करोड़पति बना जा सकता है. यह चीज और कोई नहीं, बल्कि चंदन है. चंदन की आज के समय में तेजी से डिमांड बढ़ रही है.
चंदन की लकड़ी का फर्नीचर, इत्र, दवा और इसका धार्मिक कार्यों में इस्तेमाल लंबे समय से होता आ रहा है. मगर अब इसकी कीमतें आसमान छू रही हैं और यही वजह है कि किसान गेंहू-धान छोड़ पैसे के पेड़ यानी ग्रीन गोल्ड यानी चंदन की खेती कर रहे हैं.
चंदन की खेती के क्या फायदे हैं?
भारत में चंदन की डिमांड है, इस बात में कोई दो राय नहीं है. लेकिन, अब विदेशों में भी चंदन की डिमांड बढ़ती जा रही है और इसी वजह से चंदन की लकड़ी की कीमत प्रति किलो 10 हजार रुपये तक पहुंच गई. कमाल की बात यह है कि लड़की की कीमत से ज्यादा चंदन का तेल महंगा बिकता है. कई किसानों ने दावा किया है कि एक पेड़ 10 से 15 सालों में पूरी तरह तैयार हो जाता है और उसकी कीमत लाखों रुपये होती है.
संघु एग्रो फार्म नाम के इंस्टाग्राम पेज पर एक वीडियो पोस्ट किया गया है, जिसमें चंदन की खेती से कितनी कमाई हो सकती है इस पर दावा किया गया है. वीडियो में दिख रहे शख्स बताते हैं कि एक पेड़ से 18 किलो चंदन निकलता है, जिसका मतलब है सवा तीन लाख रुपये का एक पौधा. अब 10 पौधे लगाए तो 30 लाख, 100 पौधे लगाए तो 3 करोड़, 400 पौधे लगाए तो 12 करोड़ और 1000 पौधे लगाए तो 30 करोड़ की कमाई है.
सफेद चंदन कैसे बना सकता है अमीर?
लाल चंदन ज्यादातर दक्षिण भारत में उगाया जाता है. क्योंकि, वहां की जलवायु लाल चंदन के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है. यही वजह है कि लाल या पीला चंदन दक्षिण के अलावा भारत के अन्य इलाकों में नहीं उगाया जाता है. लेकिन, सफेद चंदन मध्य प्रदेश और आस-पास के इलाकों में भी उगाया जा सकता है और सिर्फ उगाया नहीं, इससे तगड़ी कमाई भी की जा सकती है.
चंदन की बागवानी के लिए ऊसर, बंजर या पथरीली जमीन की जरूरत होती है. सफेद चंदन के लिए खास जरूरत होती है ऐसी जमीन की जो सतह से थोड़ी ऊंची रहे और जलभराव न हो. हालांकि, विशेषज्ञ चंदन के पौधों की खेती के लिए दोमट मिट्टी को सबसे अच्छा मानते हैं. इसके अलावा सिलिका वाली मिट्टी और हल्की-भूरी रेतीली मिट्टी में भी चंदन की खेती की जा सकती है.
सफेद चंदन लगाने का समय कौन-सा अच्छा है?
सफेद चंदन के एक पौधे की कीमत 100 से शुरू होती है. ऐसे में अगर कोई 10 पौधे भी खरीद रहा है, तो लागत 1000 रुपये ही आएगी. वहीं, अगर बीज से चंदन का पेड़ लगाया जाए तो यह कीमत भी बहुत कम हो जाती है. हालांकि, चंदन का पौधे लगाने का सबसे अच्छा समय बारिश का मौसम होता है. 15 जुलाई से लेकर 15 अगस्त के बीच चंदन के पौधे लगाने का सबसे अच्छा समय माना जाता है. लेकिन, सितंबर तक भी चंदन के पौधे लगाए जा सकते हैं.
कैसे लगाएं चंदन का पेड़?
चंदन का पौधा लगाने से पहले 2 बाय 2 का गड्ढा खोदना जरूरी होता है. गड्ढे को बारिश से पहले खोद लेना चाहिए और उसमें सूखा गोबर और कंडा भर देना चाहिए. चंदन की खेती करने वाले मानते हैं कि इसका पौधा लगाने के लिए गड्ढा खोदने का सबसे अच्छा समय अप्रैल महीने में होता है. हालांकि, अगर बारिश नहीं हुई है तो पौधा लगाने से 15 दिन पहले भी गड्ढा खोदा जा सकता है और गोबर खाद मिट्टी डालकर सितंबर महीने तक पौधा लगाया जा सकता है.
किस खाद का इस्तेमाल बढ़ाएगा मुनाफा?
चंदन की खेती करने वालों का मानना है कि पौधे के लिए जहां गड्ढा खोद रहे हैं, वहां जितनी मिट्टी निकले उसी में सड़े और सूखे गोबर की खाद डाल देनी चाहिए. हालांकि, सिर्फ सूखा गोबर ही न भर दें, इसमें मिट्टी कभी बराबर मात्रा में मिलाएं और ऊपर तक भर दें.
वहीं, जब पेड़ लगाएं तो पानी और देखभाल का भी ध्यान रखें. चंदन के पेड़ को ज्यादा पानी देने से बचना चाहिए. हालांकि, शुरुआती दौर में हल्की सिंचाई जरूरी होती है. इसके बाद चंदन का पेड़ मौसम के मुताबिक बढ़ने लगता है. लेकिन, चंदन के पेड़ को कीड़े और बीमारियों से बचाने के लिए ऑर्गेनिक कीटनाशक का इस्तेमाल जरूरी होता है.
चंदन की खेती के लिए कैसा मौसम जरूरी?
चंदन की खेती के लिए ज्यादा गर्म और ज्यादा ठंडा, दोनों ही मौसम अच्छा नहीं होता है. इसलिए 12 डिग्री से लेकर 38 डिग्री के मौसम में चंदन की खेती अच्छी होती है. चंदन के पौधे की ग्रोथ के लिए छाया वाला नहीं, बल्कि धूप वाला मौसम बेहतर माना जाता है. यही वजह है कि उत्तर भारत में चंदन की खेती न के बराबर होती है.
चंदन की खेती के लिए सरकार की परमिशन
चंदन की खेती के लिए सरकार से परमिशन लेनी पड़ती है. मौजूदा जानकारी के मुताबिक, चंदन का पौधा जब 3 साल का हो जाता है तब पटवारी के पास खसरा और बीमा पर पेड़ का रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है. 3 साल से पहले पेड़ नर्सरी की कैटेगरी में आता है. वहीं जब चंजन का पेड़ 12 साल का हो जाता है तो इसकी बिक्री के लिए तहसील के राजस्व विभाग में तहसीलदार के यहां रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है.
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