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RBI MPC Meeting: लगातार चौथी बार हो सकती है रेपो रेट में कटौती, सस्ती हो जाएंगी ये चीजें

RBI MPC Meetingमॉनिटरी पॉलिसी कमिटी में 6 सदस्य होते हैं। इनमें से 3 सदस्य RBI से होते हैं वहीं बाकी केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। आज सुबह 10 बजे संजय मल्होत्रा इस मीटिंग में लिए गए फैसलों का ऐलान करेंगे।

Published by Divyanshi Singh

RBI MPC Meeting: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सोमवार को गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में अपनी तीन दिवसीय मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक शुरू की। आज 6 अगस्त को गवर्नर मॉनिटरी पॉलिसी की रिपोर्ट पेश करेंगे। इस बार भी MPC से रेपो रेट में कटौती की उम्मीद है। अगर ऐसा होता है तो रेपो रेट में लगातार चौथी कटौती होगी। बता दें फरवरी, अप्रैल और जून में भी रेपो रेट में कटौती की गई थी। ये कटौती आम आदमी के लिए वरदान साबित होगा। वहीं इसके साथ ही लोग की मांग बढ़ेगी। बता दें जब पीछली बार यानी जून में MPC मीटिंग हुई थी तब रेपो रेट में 50 आधार अंकों की कटौती कर रेपो रेट को 5.50 फीसदी कर दिया गया था। 

हो सकती है रेपो रेट में कटौती 

वहीं एक्सपर्ट्स की माने तो MPC एक बार फिर रेपो रेट में कटौती कर सकती है। यह कटौती 0.25% हो सकती है। जिसके बाद लोन सस्ते हो सकते हैं। जानकारों की माने तो ट्रंप के टैरिफ और दुनिया भर में अनिश्चितता से भारत के GDP ग्रोथ पर असर पड़ सकता है। ऐसे में RBI एक आखिरी कटौती कर सकता है। ताकि ग्रोथ को सपोर्ट मिले। 

मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी में कितने सदस्य होते हैं ?

बता दें मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी में 6 सदस्य होते हैं। इनमें से 3 सदस्य RBI से होते हैं वहीं बाकी केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। आज सुबह 10 बजे संजय मल्होत्रा इस मीटिंग में लिए गए फैसलों का ऐलान करेंगे।

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लगातार 3 बार कटौती

रेपो दर में लगातार 3 बार कटौती हो चुकी है। इस साल RBI ने लगातार 3 बार ब्याज दरों में 1% की कटौती की है। साल के पहली बैठक में यानी फरवरी में ब्याज दरें 6.50% से घटाकर 6.25% कर दी गई थीं। बता दें कि यह कटौती 5 साल के बाद की गई थी। वहीं अप्रैल में दूसरी बार ब्याज दर में 0.25% की कमी की गई थी। तीसरी बार यह कटौती जून में हुई। वर्तमान में रेपो दर 5.50% पर है।

इन चीजों के रेट में होगी कमी

रेपो रेट में कमी के बाद, बैंक आवास और कार जैसे ऋणों पर भी अपनी ब्याज दरें कम कर सकते हैं। आपके सभी ऋण सस्ते हो सकते हैं और ईएमआई भी कम हो जाएगी। अगर ब्याज दरें कम होती हैं, तो आवास की मांग बढ़ेगी। ज़्यादा लोग रियल एस्टेट में निवेश कर पाएँगे।

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