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Coca-Cola Layoffs: इस कंपनी ने की बड़ी छंटनी! एक झटके में 300 कर्मचारियों की छुट्टी, जानें क्या है असली वजह?

हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेजेज (HCCB) ने अचानक 300 से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी का एलान कर दिया है. मुनाफे में 73% की भारी गिरावट के पीछे क्या बेमौसम बारिश ही एकमात्र वजह है या नए CEO की कोई खास रणनीति? पूरी खबर के लिए क्लिक करें.

Published by Shivani Singh

 Hindustan Coca-Cola Beverages layoffs news: भारत में कोका-कोला की प्रमुख बॉटलिंग कंपनी, हिंदुस्तान कोका-कोला बेवरेजेज (HCCB), ने अपने ऑर्गनाइजेशनल स्ट्रक्चर को सरल बनाने और मार्जिन में सुधार करने के लिए बड़े बदलावों की तैयारी कर ली है. ‘द इकोनॉमिक टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी अपनी नई रणनीति के तहत करीब 300 कर्मचारियों की छंटनी कर रही है. नए नेतृत्व के तहत लिए गए इस फैसले की जानकारी इसी महीने आंतरिक रूप से साझा की गई थी.

इन विभागों पर पड़ेगा असर

HCCB के देशभर में स्थित 15 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में लगभग 5,000 कर्मचारी कार्यरत हैं. यह कंपनी कोका-कोला, थम्स अप, स्प्राइट और किनले जैसे ब्रांड्स की बॉटलिंग और डिस्ट्रीब्यूशन का काम संभालती है. ताजा कटौती से कंपनी के कुल कार्यबल का लगभग 4-6 प्रतिशत हिस्सा प्रभावित होगा. इसमें सेल्स, सप्लाई चेन, डिस्ट्रीब्यूशन और प्लांट लेवल के बॉटलिंग ऑपरेशंस से जुड़े कर्मचारी शामिल हैं.

कंपनी का पक्ष: HCCB के प्रवक्ता ने कहा, “बदलती कारोबारी जरूरतों के हिसाब से हमें अपनी क्षमताओं और ढांचे का पुनर्मूल्यांकन करना पड़ता है. यह प्रक्रिया हमारे बिजनेस को प्रतिस्पर्धी और कुशल बनाए रखने के लिए जरूरी है.” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह छंटनी बहुत छोटे पैमाने पर है और इससे ऑपरेशंस पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा.

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नेतृत्व में बदलाव और गिरता मुनाफा

यह पुनर्गठन कंपनी के शीर्ष नेतृत्व में हुए बदलाव के ठीक बाद आया है. जुलाई में, हेमंत रूपानी (जो पहले मोंडेलेज इंटरनेशनल में थे) को नया सीईओ नियुक्त किया गया था. उन्होंने जुआन पाब्लो रोड्रिगेज की जगह ऐसे समय में ली है, जब कंपनी वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रही है.

वित्तीय स्थिति पर एक नज़र

  • शुद्ध लाभ (Net Profit): 73% की भारी गिरावट के साथ ₹756.64 करोड़ रह गया.
  • राजस्व (Revenue): परिचालन से प्राप्त राजस्व में 9% की कमी आई और यह ₹12,751.29 करोड़ दर्ज किया गया.

एसेट-लाइट मॉडल और गिरती डिमांड

HCCB धीरे-धीरे अपने बिजनेस मॉडल में बदलाव कर रही है. पिछले एक साल में कंपनी ने राजस्थान, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे कई क्षेत्रों में बॉटलिंग का काम बंद करके उसे अपने फ्रेंचाइजी पार्टनर्स (जैसे मून और कंधारी बेवरेजेज) को सौंप दिया है. इस ‘एसेट-लाइट मॉडल’ के तहत कोका-कोला केवल ‘कॉन्संट्रेट’ बेचती है, जबकि प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन का जिम्मा पार्टनर्स का होता है.

इसके अलावा, खराब मौसम ने भी कंपनी की मुश्किलें बढ़ाई हैं. मार्च से सितंबर के बीच हुई बेमौसम और भारी बारिश के कारण सॉफ्ट ड्रिंक्स की मांग में काफी कमी देखी गई. आमतौर पर अप्रैल-जून की तिमाही भारत के ₹60,000 करोड़ के कोल्ड ड्रिंक मार्केट के लिए सबसे महत्वपूर्ण होती है, लेकिन इस बार कंजम्पशन उम्मीद से काफी कम रहा.

Shivani Singh
Published by Shivani Singh

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