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टूट गए सारे रिकॉर्ड, भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों ने कर दिया खेला, निकाले इतने पैसे , सुन चकरा जाएगा माथा

Indian stock market: बीते हफ्ते की बात करें तो शेयर बाजार की चाल काफी धीमी दिखी। वहीं कारोबारी हफ्ते के अंतिम दिन शुक्रवार को बाजार का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 765.47 अंक निचे गिर कर 79,857.79 पर बंद हुआ। इसे पीछे का कारण विदेशी निवेशकों का धड़ल्ले से भारतीय मार्केट से पैसा निकालना है।

Published by Divyanshi Singh
Indian stock market: ट्रंप के भारत पर टैरिफ के ऐलान के बाद से भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली का सिलसिला जारी है। खासकर विदेशी इन्वेस्टर धड़ले से अपना पैसा भारतीय शेयर बाजार  से निकाल रहे हैं। बता दें सिर्फ अगस्त में ही इन्वेस्टर ने दलाल स्ट्रीट से 18,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। ट्रंप के टैरिफ के अलवा पहली तिमाही में कंपनियों के कमजोर नतीजों और रुपये की कीमत में गिरावट भी इसकी वजह मानी जा रही है। जिसकी वजह से भारतीय शेयर मार्केट में खासा दबाव देखने को मिल रहा है।

बीते हफ्ते की बात करें तो शेयर बाजार की चाल काफी धीमी दिखी। वहीं कारोबारी हफ्ते के अंतिम दिन शुक्रवार को बाजार का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 765.47 अंक निचे गिर कर 79,857.79 पर बंद हुआ। इसे पीछे का कारण विदेशी निवेशकों का धड़ल्ले से भारतीय मार्केट से पैसा निकालना है।

भारतीय बाजार से निकाल लिए 1.13 लाख करोड़ रुपये

आपको ये आकड़ा हैरान कर देगा कि 2025 में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर ने 1.13 लाख करोड़ रुपये भारतीय बाजार से निकाले हैं। डिपॉजिटरी डेटा के अनुसार अगस्त में अब तक FPI ने शेयरों से 17,924 करोड़ रुपये निकाले। वहीं जुलाई में विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर ने 17,741 करोड़ रुपये भारतीय शेयर बाजार से निकाल लिए। वहीं मार्च से जून के बीच विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर ने भारतीय शेयर बाजार में 38,673 करोड़ रुपये का निवेश किया था। 

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इस वजह से अपने पैसे निकाल रहे हैं विदेशी इन्वेस्टर

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि हालिया निकासी भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापार तनाव, कमजोर तिमाही नतीजों और रुपये में गिरावट के कारण हुई है। अमेरिका ने जुलाई के अंत में भारतीय वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाया था और पिछले हफ्ते 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया, जिससे बाजार में डर और बिकवाली बढ़ गई। एंजेल वन के विश्लेषक वकार जावेद खान ने कहा कि इस स्थिति ने एफपीआई की धारणा को प्रभावित किया और निवेशकों ने जोखिम से बचने की रणनीति अपनाई।

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अमेरिका की तरफ भाग रहे हैं निवेशक

उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी के कारण विदेशी पूंजी अमेरिका की ओर बढ़ रही है। हालाँकि, इस दौरान एफपीआई ने सामान्य ऋण सीमा में 3,432 करोड़ रुपये और वीआरआर में 58 करोड़ रुपये का निवेश किया। खान ने चेतावनी दी कि भविष्य में एफपीआई की धारणा कमजोर रह सकती है, और व्यापार वार्ता और टैरिफ विवाद अगले सप्ताह बाजार की दिशा तय करेंगे।

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