Accident Insurance Claims: भारत में आए दिन सड़कों पर दुर्घटना होती रहती है. जिसके चलते कार या बाइक को काफी नुकसान हो जाता है. जिसके लिए आप एक्सीडेंट इंश्योरेंस क्लेम भी कराते हैं, लेकिन इस क्लेम को पाना आपके लिए मुश्किल हो जाता है. लेकिन आज हम आपको इस खबर में एक्सीडेंट इंश्योरेंस क्लेम से जुड़ा हर छोटी से लेकर बड़ी जानकारी देंगे. दरअसल, एक्सीडेंट इंश्योरेंस क्लेम करने के लिए सबसे पहले आपकी गाड़ी का एक्सीडेंट इंश्योरेंस होना बहुत जरुरी है. आपको हमेशा अपनी कार या बाइक का इंश्योरेंस कराकर रखना है. अगर आपकी कार दुर्घटना का शिकार हो जाती है, तो सबसे पहले बीमा कंपनी को सूचित करें, ऑनलाइन, फोन या ऐप किसी भी जरिए. इसके बाद FIR दर्ज कराएं और पॉलिसी, RC, DL, FIR जैसे जरुरी दस्तावेज इकट्ठा करें और सर्वेक्षक के आकलन का इंतजार करें. साथ ही रीइम्बर्समेंट के लिए क्लेम फॉर्म भरें. इस प्रक्रिया को करते समय कंपनी द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन करें और पॉलिसी की सभी शर्तों को समझें.
एक्सीडेंट इंश्योरेंस क्लेम करें ( Step-by-Step Process Accident Insurance Claims)
बीमा कंपनी को सूचित करें (Intimation)
- कार या बाइक के दुर्घटना का शिकार होते ही जल्द से जल्द बीमा कंपनी को सूचित करें.
- वह आपको एक क्लेम इंटिमेशन नंबर देंगे और आगे की प्रक्रिया के बारे में भी पूरी जानकारी देंगे.
- अगर जरुरी है तो तुरंत FIR दर्ज कराएं.
- अगर थर्ड-पार्टी को नुकसान हुआ है, तो एफआइआर जरुर दर्ज कराएं.
सबूत इकट्ठा करें (Evidence Collection)
- दुर्घटना स्थल की तस्वीरें, वीडियो बना लें.
- गवाहों के इकट्ठा करें.
- हर छोटी-बढ़ी चीज का ध्यान रखें
दस्तावेज इकट्ठा करें (Document Preparation):
- पॉलिसी दस्तावेज
- रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट (Registration Certificate)
- ड्राइविंग लाइसेंस (Drivin glicense)
- FIR की कॉपी
- मेडिकल रिपोर्ट्स
- रीइम्बर्समेंट बिल
वाहन का सर्वे (Vehicle Survey):
- इसके बादबीमा कंपनी का सर्वेक्षक नुकसान का आकलन करने के लिए आएगा.
- अपनी कार को कंपनी के गैराज में ले जाएं.
क्लेम फॉर्म भरें (Claim Form Submission):
- सभी विवरण सही-सही भरें.
- ऑनलाइन या ब्रांच जाकर फॉर्म जमा करें.
क्लेम सेटलमेंट (Claim Settlement):
- कैशलेस क्लेम : बीमा कंपनी सीधे गैराज को भुगतान करती है.
- रीइम्बर्समेंट क्लेम : आप बिल जमा करने के बाद भुगतान प्राप्त करते हैं.
- ड्राइविंग लाइसेंस की भूमिका (Driving License Validity)
दरअसल, ड्राइविंग लाइसेंस वैधता क्लेम पर काफी ज्यादा असर डालता है.
- ऑन डैमेज क्लेम : यदी एक्सीडेंट के समय आपका लाइसेंस वैध नहीं था, तो क्लेम रिजेक्ट किया जा सकता है. पॉलिसी में एक शर्त भी शामिल होती है, कि ड्राइवर के पास वैध लाइसेंस होना जरुरी है.
- थर्ड पार्टी क्लेम : सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, इंश्योरेंस कंपनी को सबसे पहले पीड़ित को मुआवजा देना होता है, फिर चाहें ड्राइवर का लाइसेंस वैध हो या ना. बाद में कंपनी वाहन के मालिक से पैसे रिकवर कर सकती है.
- ग्रेस पीरियड: लाइसेंस एक्सपायर होने के बाद 30 दिन तक इसे वैध माना जाता है. इस समय क्लेम मान्य होता है.
क्लेम के दौरान क्या करें और क्या न करें (Do’s and Don’ts)
क्या करें (Do’s)
- पहले सभी की सुरक्षा निश्चित करें.
- पुलिस और इंश्योरेंस कंपनी को सूचित करें.
- दस्तावेज इकट्ठा करें.
- बिना सर्वेयर के वाहन न repar कराएं.
- झूठ बोलने से क्लेम रिजेक्ट हो सकता है.
- नो क्लेम बोनस (NCB) का ध्यान रखें.
न करें (Don’ts):
- दुर्घटना स्थल से भागें नहीं.
- वाहन को बिना अनुमति हिलाएं.
- प्राइवेट सेटलमेंट करें .
- तुरंत सूचना दें वरना क्लेम रिजेक्ट हो सकता है.
- नशे में ड्राइव न करें
- बिना लाइसेंस ड्राइव न करें.

