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मुगल हरम की औरतें दिन ढलते ही क्यों होने लगती थीं बैचेन! वजह कर देगी सोचने पर मजबूर

मुगल हरम से जुड़े ऐसे कई किस्से हैं, जिनकी वजह चौंकाने वाली होती है. इन्हीं मे से एक यह भी है कि दिन ढलने के बाद से मुगल हरम की औरतें बैचेन होने लगती थीं. आइए, यहां जानते हैं कि आखिर ऐसा क्या होता था जो मुगल हरम की औरतों में अफरा-तफरी मच जाती थी.

Published by Prachi Tandon

Mughal Harem Dark Secrets: भारतीय इतिहास के जब-जब पन्ने पलते जाते हैं तो मुगल काल का समय जरूर दोहराया जाता है. मुगल काल को विलासिता और शान-ओ-शौकत का समय माना गया है. जहां एक तरफ मुगल काल की शाही जिंदगी थी, तो वहीं दूसरी तरफ हरम से जुड़े कुछ रहस्य जिनके बारे में आज भी ज्यादा लोगों को नहीं पता है. जी हां, मुगलों के किलों में हरम नाम की एक जगह होती थी. जहां बादशाह की बीवियां, रानियां, रेखैलें और नौकरानियां रहा करती थीं. 

हरम के बारे में इतना जानकर अगर आपको यह लगता है कि यह औरतों के रहने की जगह थी, तो आप गलत हैं. हरम ऐसी जगह थी जहां सत्ता, राजनीति और शाही रिवायतों के साथ भोग और विलास भी रहता था. कई इतिहासकारों ने मुगल हरम के बारे में लिखा है. जिनमें जिक्र किया जाता है कि शाम के समय हरम में अफरा-तफरी मच जाया करती थी और वहां की औरतें बैचेन होने लगती थीं.

शाम के समय क्यों बैचेन होने लगती थीं मुगल हरम की औरतें?

दिन ढलते ही मुगल हरम की जिंदगी पूरी तरह से पलट जाती थी. जहां औरतें पूरा दिन बातों में गुजार देती थीं, वहीं शाम के समय वह सजना-संवरना शुरू कर देती थीं. जगह-जगह दीप जल जाते थे और संगीत की ध्वनियां आने लगती थीं. शाम के समय मुगल हरम के इस बदलाव का कारण होते थे बादशाह.   

कहा जाता है कि दिन ढलने के बाद बादशाह और शहजादे मुगल हरम में अपने मनोरंजन के लिए आते थे. वह पहले संगीत और नृत्य का आनंद लेते थे. फिर हरम की औरतों के साथ रात गुजारते थे. ऐसे में शाम होते ही हरम की हर औरत सजने, संवरने और खुशबू से महकने लगती थी. क्योंकि, हर औरत में चाह होती थी कि वह बादशाह की पसंदीदा बने और उनके साथ रात गुजारे.

बादशाह की पसंद का होता था खास मतलब

कई इतिहासकारों ने ऐसा जिक्र किया है कि मुगल हरम में बादशाह ही अपनी पसंदीदा औरत का चयन करता था और फिर उसके साथ रात गुजारता था. बादशाह जिस भी औरत को पसंद करता था, उसके हिस्से दरबार में सम्मान, तोहफे और शाही रुतबा आता था. वहीं, जिन्हें बादशाह नहीं चुनते थे वह पसंदीदा महिलाओं की दासियां बनकर रह जाती थीं.

Prachi Tandon
Published by Prachi Tandon

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