Mughal Harem Dark Secrets: मुगल साम्राज्य की जब-जब बात छिड़ती है, तब-तब हरम का जिक्र भी आता है. मुगलों का हरम ऐसी जगह थी जहां दुनियाभर की खूबसूरत महिलाएं रहती थीं. इतिहासकारों की मानें हरम में बादशाह और शहजादों के अलावा कोई कदम नहीं रख सकता था. वह हरम में अपनी थकान मिटाने और मनोरंजन के लिए जाते थे. खुले शब्दों में कहें तो हरम मुगल बादशाह और शहजादों की अय्याशी का अड्डा था.
मुगलों के हरम में बादशाह और शहजादों के अलावा कोई मर्द कदम नहीं रखता था. वहीं, वहां रहने वाली औरतों को भी न बाहर जाने की इजाजत होती थी और न ही किसी पराए मर्द से संबंध बनाने की. कहा जाता है कि हरम की औरतें अपने पूरे जीवन में सिर्फ दो मर्दों से ही बात कर पाती थीं.
हरम की औरतें करती थीं सिर्फ दो ही मर्दों से बात!
मुगलों के हरम में सैकड़ों से लेकर हजारों औरतें रहती थीं. इनमें रानियां, बेगम, दासियां और रेखैल शामिल थीं. ऐसे तो हरम बाहर से देखने पर ऐश और ठाठ की जगह लगती थी, लेकिन सोने की जंजीरों में बंधी. हरम में रहने वाली हर औरत पर सख्त निगरानी रखी जाती थी और इसकी दीवारें इतनी ऊंची और मजबूत बनाई जाती थीं कि कोई भी बाहरी मर्द उनकी झलक न देख ले.
इतिहासकारों का मानना है कि हरम की औरतें सिर्फ दो मर्दों से ही बात कर पाती थीं. इन दो मर्दों में एक होता था बादशाह या कोई शहजादा. बादशाह और शहजादे अपनी पसंद की औरतों के साथ समय बिताते थे.
वहीं, दूसरा मर्द होता था वैद्य. जी हां, जब कोई औरत बीमार होती थी तब हरम में बादशाह की इजाजत से वैद्य कदम रखता था. फिर औरत का इलाज करता था, ऐसे में तब किसी दूसरे मर्द से हरम की औरतें बात कर पाती थीं और वक्त बिताती थीं. लेकिन, इसके लिए भी उन्हें तरह-तरह की तरकीब लगानी पड़ती थी जिससे कोई सैनिक या ख्वाजा (किन्नर) उनकी बात सुन न ले. ऐसे में यह सब बहुत ही गुप-चुप तरह से किया जाता था.
पराए मर्द से संबंध बनाने पर मिलती थी खौफनाक सजा!
हरम की औरतों पर लाखों पाबंदियां होती थीं. वह न तो कहीं बाहर जा सकती थीं और न ही किसी से बात कर सकती थीं. ऐसे में अगर जाने-अनजाने में हरम की औरतें, बादशाह के अलावा किसी दूसरे मर्द से बात कर लेतीं और उसकी खबर दरबार तक पहुंच जाती तो खौफनाक सजा दी जाती थी.
इतिहासकारों की मानें तो हरम में तहखाना बनाया जाता था, जहां फांसीघर होता था. बादशाह के नियमों का पालन नहीं करने वाली औरतों को वहां सजा-ए-मौत दी जाती थी और फिर लाश को तहखाने से बाहर नदी या जंगल में फेंक दिया जाता था.

