आज के समय में जब हमारी जिंदगी का ज्यादातर हिस्सा इंटरनेट से जुड़ा हुआ है, तब अपनी पर्सनल डिटेल (प्राइवेसी) को सेफ रखना बेहद मुश्किल होता जा रहा है. हर दिन हम कई ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं चैट करने, गेम खेलने, सीखने या काम करने के लिए. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि ये ऐप्स हमारी कितनी निजी जानकारी अपने पास रख लेते हैं और कभी-कभी उसे दूसरों के साथ भी शेयर करते हैं.
कई टेक कंपनियां फ्री सर्विस देने के नाम पर यूजर्स से डेटा इकट्ठा करती हैं. ये डेटा आपकी लोकेशन, कांटेक्ट लिस्ट, फोटोज, सेहत से जुड़ी जानकारी या फोन के इस्तेमाल की आदतों से जुड़ा हो सकता है. कभी-कभी ऐप्स आपकी अनुमति के बिना भी ये जानकारी ले लेते हैं. उदाहरण के लिए, एक नार्मल कैलेंडर ऐप आपकी हेल्थ जानकारी मांग सकता है या कैलकुलेटर ऐप आपके कांटेक्ट्स तक पहुंच चाहता है जो साफ तौर पर जरूरी नहीं है. यही कारण है कि लोगों के मन में अब ये सवाल उठने लगा है कि आखिर किस ऐप पर भरोसा किया जाए और किस पर नहीं.
किन ऐप्स पर सबसे ज्यादा शक
NSoft कंपनी के आईटी हेड मारिन मारिंचिच ने एप्पल ऐप स्टोर की प्राइवेसी रिपोर्ट्स की जांच कर एक लिस्ट तैयार की है. इस लिस्ट में कई ऐसे ऐप्स शामिल हैं जो हमारे रोजमर्रा के इस्तेमाल में आते हैं और हमारी निजी जानकारी एकत्र करते हैं. इनमें कैंडी क्रश, रोब्लॉक्स और डुओलिंगो जैसे लोकप्रिय ऐप्स भी शामिल हैं. रिपोर्ट के अनुसार, रोब्लॉक्स यूज़र्स का डेटा शेयर नहीं करता, जबकि कैंडी क्रश 10% से कम और डुओलिंगो करीब 20% डेटा दूसरों को शेयर करता है. पीसीएमएजी ने भी ऐसी 20 ऐप्स की सूची जारी की है जो किसी न किसी रूप में यूजर्स का डेटा इकट्ठा करती हैं.
सोशल मीडिया ऐप्स हैं सबसे बड़े डेटा कलेक्टर
अगर बात सोशल मीडिया ऐप्स की करें तो ये सबसे ज्यादा जानकारी जुटाते हैं. लिंक्डइन, स्नैपचैट, टिकटॉक, एक्स (पूर्व ट्विटर), फेसबुक, इंस्टाग्राम, मैसेंजर और थ्रेड्स जैसे ऐप्स यूजर्स की बड़ी मात्रा में जानकारी थर्ड पार्टी के साथ शेयर करते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, मेटा (फेसबुक की पैरेंट कंपनी) के ऐप्स औसतन 68.6% यूजर डेटा बाहरी कंपनियों के साथ शेयर करते हैं. वहीं व्हाट्सएप बिजनेस करीब 57.1% डेटा लेता है और इसमें एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन नहीं है, यानी आपके संदेश सेफ नहीं हैं और उन्हें कोई भी पढ़ सकता है.

