Apple के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स को दुनिया उनके इनोवेशन, क्रिएटिविटी और लीडरशिप के लिए याद करती है. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि अपनी मौत से एक साल पहले, 2 सितंबर 2010 को उन्होंने खुद को एक ईमेल लिखा था- जिसका टाइटल था “I do not…”. यह ईमेल किसी बिजनेस स्ट्रेटेजी या टेक आइडिया पर नहीं, बल्कि जीवन और कृतज्ञता (gratitude) पर था. अब यह ईमेल Steve Jobs Archive द्वारा सार्वजनिक किया गया है और यह इंसानियत की खूबसूरती को बयां करता है.
“I do not…” – कृतज्ञता की सच्ची झलक
इस ईमेल में स्टीव जॉब्स ने लिखा- “I grow little of the food I eat… I speak a language I did not invent or refine… I am moved by music I did not create myself.” यानी- “मैं वह खाना नहीं उगाता जो खाता हूं, मैं वह भाषा नहीं बोलता जो मैंने बनाई हो, और मैं उस संगीत से प्रभावित होता हूं जो मैंने खुद नहीं बनाया.” इन शब्दों से उन्होंने यह जताया कि हम सब एक-दूसरे पर निर्भर हैं. कोई भी व्यक्ति अकेले कुछ नहीं बना सकता. हर चीज़ जो हम इस्तेमाल करते हैं, किसी और की मेहनत का परिणाम होती है.
मानवता के प्रति प्रेम और सम्मान
जॉब्स ने अपने ईमेल के आखिर में लिखा- “I love and admire my species, living and dead, and am totally dependent on them for my life and well being.” इन शब्दों में एक गहरी विनम्रता छिपी है. यह ईमेल हमें याद दिलाता है कि जॉब्स सिर्फ एक टेक्नोलॉजी जीनियस नहीं थे, बल्कि एक ऐसे इंसान थे जो जीवन की गहराइयों को महसूस करते थे. उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी सफलता और अस्तित्व, दूसरों की रचनात्मकता और योगदान से जुड़ा हुआ है.
स्टीव जॉब्स की सोच: इनोवेशन से आगे इंसानियत तक
यह ईमेल उस मिथक को तोड़ता है जिसमें जॉब्स को एक “self-made” या अकेले मेहनत करने वाले इंसान के रूप में दिखाया जाता है. इसके बजाय, यह बताता है कि वे खुद को एक बड़े मानव समाज का हिस्सा मानते थे- जहां हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में एक-दूसरे की ज़िंदगी को आकार देता है.
Steve Jobs Archive द्वारा साझा की गई भावनात्मक झलक
Steve Jobs Archive ने जब इस ईमेल को साझा किया, तो इसे सिर्फ एक टेक आइकन की याद नहीं माना गया, बल्कि एक ऐसे इंसान के रूप में देखा गया जिसने “gratitude” यानी कृतज्ञता की असली भावना को समझा और जिया. यह ईमेल एक reminder है कि तकनीक जितनी बड़ी क्यों न हो, उसकी जड़ में इंसानियत ही होती है.

