Test Match vs Day Night Test Match: क्रिकेट के सबसे बड़े फॉर्मेट को टेस्ट क्रिकेट कहा जाता है. ये क्रिकेट इतिहास का सबसे पुराना फॉर्मेट है. एक टेस्ट मैच 5 दिनों तक खेला जाता है. आमतौर पर टेस्ट क्रिकेट दिन में खेला जाता है. साल 2015 के बाद से अब टेस्ट क्रिकेट डे-नाइट फॉर्मेट में भी खेला जाता है. ऐसे में पारंपरिक टेस्ट क्रिकेट और डे-नाइट टेस्ट में काफी अंतर है. तो चलिए आपको बताते हैं कि कैसे एक नॉर्मल टेस्ट मैच से अलग होता है डे-नाईट टेस्ट मैच?
1. गेंद का अंतर
नॉर्मल टेस्ट मैच सुबह से लेकर शाम तक खेला जाता है. पारंपरिक टेस्ट मैच रेड बॉल यानि की लाल गेंद से खेला जाता है. लेकिन डे-नाइट टेस्ट में गुलाबी गेंद का इस्तेमाल किया जाता है. एक तो गुलाबी गेंद को रात में देखने में खिलाड़ियों को कोई दिक्कत नहीं होती. क्योंकि इस पिंक गेंद पर ज़्यादा चमक के लिए अधिक लैकर (गेंद की चमक बढ़ाने के लिए प्रयोग होने वाला पदार्थ) का इस्तेमाल किया जाता है. पिंक बॉल हवा में ज्यादा स्विंग करती है, खासकर शाम और रात के समय. लैकर ज़्यादा होने की वजह से गुलाबी गेंद की चमक ज्यादा समय तक रहती है, इसी वजह से सीम मूवमेंट भी देर तक देखने को मिलती है.
2. रोशनी का फर्क
डे-नाइट टेस्ट मैच में आर्टिफिशियल लाइट्स में खेलना खिलाड़ियों के लिए सबसे ज़्यादा चैलेंजिंग होता है. खासतौर पर सूरज ढलते समय और ढलने के कुछ देर बाद तक आर्टिफिशियल लाइट्स में खिलाड़ियों को गेंद को देखने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बल्लेबाज़ों को गेंद को देखने में परेशानी होती है, तो वहीं फील्डिंग और कैचिंग में भी खिलाड़ियों को कठिनाई होती है. इसी वजह से हमने कई बार देखा है कि सूरज ढलने के समय बल्लेबाज़ी करने वाली टीम तेज़ी से विकेट खो देती है, जबकि उसी पिच पर दिन में बल्लेबाज़ी काफी आसान दिखती है.
3. बदलता रहता है पिच का व्यवहार
एक नॉर्मल टेस्ट मैच के मुकाबले डे-नाइट टेस्ट में पिच अलग तरह से व्यवहार करती है. शाम के समय नमी बढ़ने से गेंद दिन के मुकाबले ज़्यादा सीम और स्विंग करती है, जिससे पेसर्स को मदद मिलती है और वो विरोधी टीमों के बल्लेबाज़ों को परेशान करते हुए नज़र आते हैं.
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4. डे-नाइट टेस्ट में होता है डिनर
नॉर्मल टेस्ट मैच में दिन का खेल शुरू होने के बाद जब पहले सेशन खत्म होता है तो लंच होता है और दूसरे सेशन के बाद चायकाल का समय होता है. डे-नाइट टेस्ट मैच में पहले चायकाल होता है और फिर दूसरे सेशन के खत्म होते ही डिनर हो जाता है. ऐसे में नॉर्मल टेस्ट मैच में लंच होता है और डे-नाइट टेस्ट में खिलाड़ी डिनर करते हैं.

