Utpanna Ekadashi 2025 Vrat Katha: हिंदू धर्म में एकदाशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. मार्गशीर्ष माह की पहली एकादशी उत्पन्ना एकादशी का व्रत आज यानि 15 नवंबर के दिन रखा जा रहा है. इस व्रत को तभी पूर्ण माना जाता है, जब इस व्रत को रखने के साख व्रत की कथा भी की जाए. यह व्रत मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. यह पढ़ें एकादशी व्रत की संपूर्ण कथा.
उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में एक राक्षस था जिसका नाम नाड़ीजंघ और उसके पुत्र का नाम मुर था. मुर एक बहुत ही शक्तिशाली राक्षस था, जिसने अपने पराक्रम के बल पर इंद्र से लेकर यम और अन्य सभी देवताओं पर विजय प्राप्त कर ली थी. इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए सभी देवतागण शिव जी की शरण में पहुंचे और उन्हें अपनी सारी व्यथा सुनाई. भगवान शंकर ने देवताओं को इस मुश्किल का हल ढूंढने के लिए विष्णु जी के पास जाने के लिए कहा. इसके बाद सभी देवता अपनी श्री हरि की शरण में पहुंचे और विस्तार से उन्हें सारी बात बताई.
देवताओं को इस समस्या निकालने के लिए भगवान विष्णु मुर को पराजित करने के लिए रणभूमि में पहुंच, जहां मुर देवताओं से युद्ध कर रहा था. भगवान विष्णु जी को देखते ही मुर ने उन पर भी प्रहार किया. माना जाता है कि मुर और भगवान विष्णु का युद्ध 10 हजार वर्षों तक चला. विष्णु जी ने अनेकों प्रहार के बाद भी दैत्य मुर नहीं हारा था.
युद्ध करते हुए जब भगवान विष्णु थक गए, तो वह बद्रिकाश्रम गुफा में जाकर विश्राम करने लगे. इसपर दैत्य मुर भी उनका पीछा करते हुए उस गुफा में पहुंच गया. इसके पश्चात जब उसने श्री हरि पर वार करने के लिए हथियार उठाया, तभी भगवान विष्णु के शरीर से एक कांतिमय रूप वाली देवी प्रकट हुईं और उन्होंने मुर राक्षस का वध कर दिया. मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को जन्म होने के कारण इन देवी का नाम एकादशी पड़ गया. इसके साथ ही एकादशी के दिन उत्पन्न होने के कारण इन देवी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं कि एकादशी व्रत कथा का पाठ करने से सभी समस्याओं का अंत होता है और श्री हरि विष्णु की कृपा प्राप्त होती है.
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