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Surya Grahan के तुरंत बाद Shardiya Navratri का शुरू होना है, एक बड़ी चेतावनी! शास्त्रों में है बड़ा रहस्य

Surya Grahan With Navratri Start: 21 सितंबर को साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण लगने वाला है और रात 11 बजे से शुरू होगा और 22 सितंबर की सुबह 3 बजकर 24 मिनट तक रहेगा और इस 22 सितंबर से शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) का प्रारंभ हो रहा हैं, ऐसे में सूर्य ग्रहण और नवरात्रि मेल एक चेतावनी है.

Published by chhaya sharma

21 September Surya Grahan: 7 सितंबर में लगे चंद्र ग्रहण के बाद अब 21 सितंबर को साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण लगने वाला है, यह सूर्य ग्रहण  21 सितंबर की रात 11 बजे से शुरू होगा और 22 सितंबर की सुबह 3 बजकर 24 मिनट रहेगा. वहीं 22 सितंबर से शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ होने जा रहा है. वहीं शास्त्रों के अनुसार संयोग बिलकुल भी सामान्य नहीं बल्कि बड़ी चेतावनी का संकेत है.

नवरात्रि पर सूर्य ग्रहण होना

दरअसल, शास्त्रों में ग्रहण को विघ्नकारी और शुद्धि की आवश्यकता का समय बताया गया, वही, नवरात्रि (Navratri) को शक्ति जागरण का पर्व माना गया है. वहीं सूर्य ग्रहण के साथ नवरात्रि का होनो दुर्लभ मेल दर्शाता है, क्योंकि देवी उपासना से ही ग्रहण के दोषों का शमन हो रहा है. ऐसे में समाज को नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलेगी.

ग्रहण को क्यों माना जाता है विघ्नकारी

धर्मसूत्रों के अनुसार सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2025) को असुर शक्तियों का प्रभाव  बताया गया है।  सूर्य ग्रहण होने से राज्य, समाज और व्यक्ति के जीवन में प्रभाव पड़ता है. यही वजह है कि ग्रहणकाल के समय शुभ कार्य, विवाह, यात्रा या नए सौदे करने की मनाही होती है। नवरात्री पर सूर्य ग्रहण होना एक दैवी चेतावनी की तौर पर देखा जा सकता है। 

शारदीय नवरात्रि का आरंभ 

शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2025) में माता के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है और माना जाता है नवरात्रि में देवी का स्मरण करने वाला साधक किसी भी संकट से मुक्त हो सकता है, वहीं ग्रहण के बाद जब नवरात्रि शुरू होने से यह संदेश मिलता है कि इस नवरात्रि शक्ति उपासना से नकारात्मक छाया से मुक्ति मिल सकती है.

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क्या है शास्त्रीय प्रमाण

भविष्य पुराण के अनुसार ग्रहण को विघ्नकारकं, ततः पश्चात् शुद्ध्यर्थं पूजा. अर्थात ग्रहण विघ्न का सूचक बताया गया है, लेकिन ग्रहण के बाद की गई पूजा और व्रत दोषों को दूर कर देते हैं. इसी वजह से शारदीय नवरात्रि और भी विशेष है, क्योंकि यह  ग्रहण के बाद आरंभ हो रही है.

सूर्य ग्रहण और नवरात्रि मेल

 शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रहण और नवरात्रि (Shardiya Navratri 2025) का यह मेल साधारण घटना नहीं है, बल्कि यह एक तरह की चेतावनी है,  ग्रहण नकारात्मक ऊर्जाओं का संकेत है, वहीं नवरात्रि की पूजा कारात्मक ऊर्जाओं को दूर कर जीवन में नई ऊर्जा ला सकती है. ऐसे में इस बार की नवरात्रि केवल त्योहार नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक सुरक्षा कवच भी है.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है. पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें. इन खबर इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है.

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