Premanand Maharaj: सभी लोग भगवान से कुछ ना कुछ मागते हैं, कोई गाड़ी मागता है, कोई घर मांगता है, कोई खुशिया मांगता है और कोई जीवन में तरक्की मागता हैं. जिसके जीवन में जीस भी चीज की कमी होती है, वहीं वो चीज इंसान मागता है. किसी की इच्छा जल्दी पूर हो जाती है, तो कुछ लोगों की मनोकामना पूरी होने में समय लगता हैं, लोगों को लगता है भगवान उनकी नहीं सुन रहें हैं. अगर आपकी भी कोई इच्छा अभी तक पूरी नहीं हुई है और आप भी सोचते हैं क्यों भगवान आपकी नहीं सुन रहा है, तो यहां जानें प्रेमानंद महाराज जी से भगवान से इच्छा मागने का सही तरीका.
भगवान कैसे सुनेंगे आपकी मनोकामना जल्दी
हिंदूी धर्म में रोजाना पूजा पाठ करना बेहद शुभ होता हैं, क्योंकि इससे शाती मिलती है और माहौल पॉजिटिव होता है. कई लोग भागवान की पूजा बिना किसी मंशा से करते हैं, तो कई लोग पूजा करते हुए भगवान से मन्नत मांगते हैं. लेकिन क्या ऐसा करना सही है? क्या भगवान सारी मन्नतों को पूरा करते हैं? ऐसा सवाल पर वृंदावन के जाने-माने संत प्रेमानंद महाराज से पूछा गया- शख्स ने पूछा क्या ऐसा कहना सही है कि भगवान आप मेरी ये मन्नत पूरी कर दे, तो मैं आपके लिए ये करूंगा.
प्रेमानंद महाराज जी बताया इच्छा मागने का सही तरीका
इस सवाल का जवाब देते हुए मानंद महाराज जी ने कहा- भगवान से ऐसा नहीं बोलना चाहिए. भगवान बहुत बड़े दाता है और हम उनके बच्चे हैं. आप अपने पिता से कैसे कुछ मांगाते हैं कि हम तुमको दस लड्डू पवा देंगे हमें दस रुपया दे दो. बल्कि पिता से तो ऐसे मांगा जाता है कि 100 रुपये की जरूरत है मुझे दो. वो नहीं देंगे? ऐसा नहीं है, क्योंकि उन्हे देना ही पड़ेगा, नहीं तो हम किस से मांगेगे? किस के पास जायेंगे. ऐसे ही भगवान भई हमारे पिता हैं, तो इसलिए हमें पूरे हक से बोलना चाहिए की प्रभू हमे ये परेशानी है आप इसका समाधान कीजिए
ऐसे मांगे भगवान से अपनी मनोकामना, तुरंत होगी पूरी
प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि- अज्ञानवश कहते हैं कि तुम 500 रुपये के लड्डू का भोग लगा दोगे, तो आपकी इच्छा पूरी होत. लेकिन ऐसा नहीं है आप सीधा भगवान से बोले की हमारी ये परेशानी है मुझी इस चीज की कमी है आप इसे पूरी करें, क्योंकि आपके अलावा हमारा दूसरा कोई स्वामी नहीं है, आप ही जगह के मालिक हैं, इसके बाद अगर आपको भगवान को भोग लगाना है, तो जरूर लगाए. प्रभु भली ही हैं लेकिन अगर आप कोई इच्छा रख रहे हैस तो ऐसे ही रखें कि वो आपके पिता की ही हैं. जैसे पुत्र पिता से मांगता है ना अधिकारपूर्वक. वैसे हम भी भगवान के बालक हैं. इसलिए हमे भी अधिकारपूर्वक ही भगवान से अपनी इच्छा मांगनी चाहिए
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