Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज, एक हिंदू तपस्वी और गुरु हैं, जो राधावल्लभ संप्रदाय मो मानते हैं. प्रेमानंद जी महाराज अपनी भक्ति, सरल जीवन, और मधुर कथाओं के लिए लोगों में काफी प्रसिद्ध हैं. हर रोज लोग उनके कार्यक्रम में शामिल होते हैं जहां वह लोगों के सवालों के जवाब देते हैं.हजारों लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन देते हैं. उनके प्रवचन, जो दिल को छू जाते हैं, ने उन्हें बच्चों और युवाओं सहित विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया है. प्रेमानंद जी महाराज नाम जप करने के लिए के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं और साफ मन से अपने काम को करें और सच्चा भाव रखें.
इस लेख के जरिए जानें प्रेमानंद जी महाराज की बचपन की पसंद क्या है, साथ ही जानें कि रोम-रोम से नाम जप कैसे हो?
मुसकुराते हुए प्रेमानंद जी महाराज ने जवाब दिया कि, व्यवहार में मां प्रिय थी, सबसे ज्यादा मां से प्रेम था. खाने में मिठाई प्रिय थी, खेलने में कुश्ती प्रिय थी, और भगवान में शिव जी प्रिय थे.
रोम-रोम से नाम जप कैसे हो?
“नाम श्वास दो विलग चलत हैं, याको भेद ना मोको भावे! नाम ही श्वास, श्वास ही नाम, नाम श्वास को भेद मिटावे! रोम-रोम जब रग-रग बोले, तब कछु स्वाद नाम को पावे!!”
जब श्वास और नाम एक हो जाए , श्वास ली अपने आप नाम चलने लगे, श्वास छोड़ा अपने आप नाम चलने लगे, जैसे श्वास वैसे नाम. जब श्वास जप-जपते हमारे कंठ में आता है , कंठ से हद्वय में हद्वय से रोम-रोम में समा जाता है. यह बहुत प्रयास करने पर आता है.
पढ़ाई के अलावा बाकि समय भगवान को अर्पित कर दो, 8-10 बजे तक आप पढ़ते हैं, बाकि का एक समय आपका जो भी खाली को उसमें राधा नाम का जप करें. आपका यह कर्म आपको महान बना देगा. स्टूडेंट्स अगर ऐसे चलेंगे तो बहुत अच्छा होगा.
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