Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज, एक हिंदू तपस्वी और गुरु हैं, जो राधावल्लभ संप्रदाय मो मानते हैं. प्रेमानंद जी महाराज अपनी भक्ति, सरल जीवन, और मधुर कथाओं के लिए लोगों में काफी प्रसिद्ध हैं. हर रोज लोग उनके कार्यक्रम में शामिल होते हैं जहां वह लोगों के सवालों के जवाब देते हैं.हजारों लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन देते हैं. उनके प्रवचन, जो दिल को छू जाते हैं, ने उन्हें बच्चों और युवाओं सहित विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया है. प्रेमानंद जी महाराज नाम जप करने के लिए के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं और साफ मन से अपने काम को करें और सच्चा भाव रखें.
इस लेख के जरिए जानें कि अपने जीवन में लक्ष्य को कैसे निर्धारित करें, जानें प्रेमानंद जी महाराज से
प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि अपने जीवन में अगर आप लक्ष्य को निर्धारित करना चाहते हैं तो सत्संग के द्वारा , जब हम सुनते हैं..
श्रवन सुजसु सुनि आयउँ प्रभु भंजन भव भीर। त्राहि त्राहि आरति हरन सरन सुखद रघुबीर
शरणागत को सुख प्रदान करने वाले हे राम जी मैंने आपकी महीमा सुनी तो मेरा मन किया की मैं आपकी शरण में जाऊं और आपको प्राप्त करूं. इसीलिए जब भी लक्ष्य बनता है वो सुन कर बनता है तो पहली भक्ति है श्रवण, रामायण की पहली भगति है..प्रथम भगति संतन कर संगा यानि पहली भक्ति संतों की संगति करना या उनका सत्संग करना है. जब हम भगवान की महीमा सुनते हैं तो हमारे अंदर भी ललक होती है कि हम भी भगवान की भक्ति करें, मार्ग पर चलें, अच्छे बनें, यह सब सुन कर ही लक्ष्य बनता है.
जब संतों का समागम करते हैं तो हमारा सुंदर दिव्य लक्ष्य बनता है. जब विष्य पुरुषों का समामग करते हैं तो विष्य लक्ष्य बनता है. नीच पुरुषों का संग करते हैं तो नीच आचरण का लक्ष्य बनता है. उत्तम पुरुषों के महाविचार से उत्तम लक्ष्य बनेगा. लक्ष्य बनता है सुनकर और संग से, जैसा हमारा संग, जैसा हमने श्रवण किया वैसा हमारा लक्ष्य बनेगा.
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