Arulmigu Valmikinathan Bagampriyal Temple History: भारत में चमत्कारी और रहस्यमय मंदिरों की कोई कमी नहीं है. ऐसे ही एक मंदिर के बारे में हम यहा आपको बता रहे हैं, जहां भगवान के दर्शन करने मात्र से ही कैंसर जैसी बड़ी और भयानक बीमारियां भी ठीक हो सकती है. इसलिए इस मंदिर में लोग लाखों की संख्या में पहुंचते हैं. यह मंदिर तमिलनाडु में स्थित है और मंदिर का बागमप्रियल है. चलिए जानते हैं यहां इस मंदिर के इतिहास के बारे में.
कैंसर की बीमारी से भी मिल सकता है छुटकारा
तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के तिरुवदनई के पास समंदर किनारे तिरुवेत्तियुर गांव में स्थित इस मंदिर में भगवान शिव और मां अंबिका यानी मां बागम प्रियल के साथ विराजमान हैं. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां कैंसर जैसी बड़ी और भयानक बीमारियां भी ठीक हो सकती है. इसलिए भक्त कैंसर का इलाज कराने के लिए दूर-दूर से यहां इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं. यही वजह है कि मां बागमप्रियल को ‘दाई अम्मा’ और असाध्य रोगों से मुक्ति दिलाने वाली मां भी कहा जाता है. साथ ही इस मंदिर को लेकर एक मान्यता ओर है है कि भगवान विष्णु को भी यहीं महादेव के श्राप से मुक्ति मिली थी
भगवान शिव ने दिया था भगवान विष्णु को श्राप
बागमप्रियल मंदिर को लेकर एक किंवदंती बहुत प्रसिद्ध है. कहा जाता है कि राजा महाबली बहुत साहसी और दानशील थे और अपनी प्रजा का बहुत ध्यान रखते थे, राजा महाबली ने भगवान शिव के मंदिर में जल रही ज्योत का रक्षण किया था, जिसकी वजह से वह भागवान शिव के बेहद प्रिय भी थे. लेकिन उनके अंदर बेहद अहंकार था, जिसे तोड़ने के लिए भगवान विष्णु ने वामन रूप धारण किया और और अपने तीसरे पग में उन्हें पाताल लोक भेज दिया. ऐसा होने के बाद राजा महाबली की मां भगवान शिव के पास परेशान होकर पहुंची और उनके साथ अन्याय हुआ. इसलिए क्रोधित होकर भगवान शिव ने विष्णु जी को श्राप और कहा कि उनके पैर को कर्क रोग से पीड़ित होने लगेगे. भगवान शिव के दिए श्राप से भगवान नारायण परेशान हो गए और शिव जी की शरण में पहुंचे. जहां भगवान शिव ने बताया कि उन्हें श्राप से मुक्ती लिए 18 तीर्थ स्थलों में स्नान करना पड़ेगा. भगवान विष्णु ने 18 पवित्र नदियों में स्नान भी किया और आखिर में वे तिरुवेत्तियुर गांव आए और कर्क रोग से उन्हें आजादी मिली. इसी पौराणिक कथा की वजह से भक्तों का मानाना है कि इस मंदिर में भगवान के दर्शन करने से कैंसर जैसी बड़ी बीमारी भी ठिक हो सकती है
10 हजार साल से ज्यादा पुराना है मंदिर
बताया जाता है कि बागमप्रियल का यह मंदिर 1000 साल से ज्यादा पुराना है और यहां मुख्य रूप से मां बागम प्रियल की पूजा की जाती है और इस मंदिर में भगवान शिव को पझम पुत्रु नाथर के रूप में पूजा जाता है, कहा जाता है कि मंदिर की स्थापना ऋषि अगस्त्य ने की थी. उन्होंने पहले मां बागमप्रियल की तपस्या की और फिर इस मंदिर का निर्माण किया.
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