Kab hai Guru Nanak Jayanti 2025: कार्तिक माह की पूर्णिमा पर गुरु नानक जी की जयंती मनाई जाती है, उन्होंने ही सिख धर्म की स्थापना की थी. गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को पंजाब के तलवंडी में एक हिन्दू परिवार में हुआ था. गुरु नानक देव जी ने अपने उपदेशों के माध्यम से समाज को समानता, प्रेम, सत्य और सेवा का संदेश दिया था और लोगों को जाति, धर्म और ऊंच-नीच के भेदभाव को समाप्त करने के लिए भी प्रेरित किया था.
साल 2025 में गुरु नानक जयंती कब है? (When Is Guru Nanak Jayanti 2025)
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि 04 नवंबर 2025 को प्रात:काल 10 बजकर 36 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन 05 नवंबर 2025 को सायंकाल 06 बजकर 48 मिनट तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार इस साल कार्तिक पूर्णिमा और गुरु नानक जयंती का पावन पर्व 05 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा और इस वर्ष गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती है. चलिए जानते है यहां गुरु नानक देव जी के जन्मोत्सव के अवसर पर उनके जीवन से जुड़ी अहम बातें.
गुरु नानक देव जी कैसे बने थे संत
एक बार नानक जी ने घोड़े के व्यापार किया और वहा से मिला सारा पैसा साधु सेवा में लगा दिया, जब इस बारे में उनके पिता ने उनसे सवाल किया, तो उन्होंने कहा यह यह सच्चा व्यापार है. जिसके बाद उनके पिता ने उन्हें अपने बहनोई जयराम के पास सुल्तानपुर भेज दिया. बहनोई ने नानक जी को सुल्तानपुर के गवर्नर दौलत खां के यहां काम पर लगा दिया. नानक जी अपना काम ईमानदारी से करते थे, जिसकी वजह से शासक दौलत खां नानक जी से बेहद खुश रहते. लेकिन नानक जी के दिल में जनसेवा की भावना हमेशा रही. वह जो भी कमाते थे, उसका एक बड़ा हिस्सा गरीबों और साधुओं को दान कर देते. वह कभी-कभी तो पूरी रात परमात्मा के भजन में लीन रहते. फिर नानक जी की मुलाकात मरदाना से हुई, जो गुरु नानक के सेवक बन गए और आखिरी समय तक उनके साथ रहे. गुरु नानक देव जी रोजाना सुबह बई नदी में स्नान करते थे. कहा जाता है कि एक बार जब स्नान के बाद वह जंगल में गए, तो एकाएक वन में अंतर्धान हो गए. मान्यता के अनुसार वहां उनका परमात्मा से साक्षात्कार हुआ. इसके बाद उनका जीवन में बदलाव गया. अपने परिवार की जिम्मेदारी ससुर मूला को सौंपकर गुरु नानक देव धर्म के प्रचार के मार्ग पर निकल गए और एक संत बन गए.
गुरु नानक देव जी नहीं पहना था जनेऊ?
एक बालक जिसने अपना जीवन समाज की बुराइयों को दूर करने के लिए पारिवारिक जीवन और सुख त्याग दिया था. गुरु नानक के पिता उन्हें कृषि व्यापार में शामिल करना चाहते थे लेकिन उनके सारे प्रयास असफल रहे. कहा जाता है कि गुरु नानक देव जब 11 वर्ष के थे, तो उनके पिता ने जनेऊ पहनने को कहा गया. क्योंकि उस समय इस उम्र के सारे हिन्दू लड़के पवित्र जनेऊ पहनना करते थे, लेकिन गुरु नानक ने जनेऊ पहनने से साफ इनकार कर दिया. उनका मानना था कि लोगों की इस तरह की परंपराओं पर विश्वास करने की बजाय अपने ज्ञान और गुणों को बढ़ारवा दें.
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