Choti Diwali puja 2025: दीपावली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत गहरा है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था, जो बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक माना जाता है. इसी दिन से दीप पर्व की शुरुआत होती है.
छोटी दिवाली पर 14 दीये जलाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. इसे यमराज की पूजा और पितरों की शांति से जोड़ा गया है. हिन्दू मान्यता के अनुसार, इन 14 दीपों को जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं और परिवार को अकाल मृत्यु, बीमारियों और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा मिलती है. इस क्रिया को ‘यम दीप दान’ कहा जाता है. यानी जीवन और मृत्यु के देवता यमराज को प्रकाश अर्पित करना.
गरुड़ पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति नरक चतुर्दशी की रात यमराज के नाम से दीप जलाता है, उसके पूर्वजों की आत्माओं को शांति मिलती है और घर में सुख, समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद आता है. इन दीपों को घर के अलग-अलग हिस्सों में रखा जाता है- मुख्य द्वार, आंगन, रसोई, बालकनी, पानी के स्थान और कोनों में. हर दीये का स्थान एक विशेष उद्देश्य से जुड़ा होता है. घर में सकारात्मक ऊर्जा और शुभता बनाए रखना.
इन दीयों का करते हैं उपयोग
दीये आमतौर पर मिट्टी के बने होते हैं और इनमें सरसों के तेल या घी का उपयोग किया जाता है. तेल का दीपक पवित्रता, सुरक्षा और नकारात्मकता को दूर करने का प्रतीक है. कई परिवार अगले दिन सूर्योदय के समय एक अतिरिक्त दीया जलाते हैं, जिसे ‘यम दीप’ कहा जाता है- यह पूरे अनुष्ठान को पूर्ण करता है.
14 दीये का गहरा आध्यात्मिक अर्थ
संख्या 14 का भी एक गहरा आध्यात्मिक अर्थ है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, यह सृष्टि के 14 लोकों (जगतों) का प्रतिनिधित्व करती है. 14 दीपक जलाना इन सभी लोकों को प्रकाशमय और संतुलित करने का प्रतीक माना जाता है.

