Chhath Puja 2025 Arghya Niyam: छठ पूजा में छठी मैय्या के साथ-साथ सूर्य देव की भी पूजा की जाती है. साथ ही छठ पूजा के दौरान एक बार डूबते हुए सूर्य को और एक बार उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, क्योंकि इसके बिना छठ की पूजा अधूरी मानी जाती है. इस महापर्व के दौरान कुंड, सरोवर और नदी किनारे महिलाएं पूजन करती है.
आज है छठ पूजा का तीसरा दिन सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा
आज छठ पूजा का तीसरा दिन है और आज के दिन शाम के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. ऐसे में कई लोगों के घर के पास कुंड, सरोवर, घाट या नदी नहीं होती है, तो लोग आर्टिफिशियल कुंड बनाकर या फिर घर की छत पर बाथ टब में सूर्य को अर्घ्य देते हैं. लेकिन घर की छत पर छठ की पूजा करना कितना सही है? चलिए जानते हैं यहां शास्त्रों में क्या है इसके नियम?
क्या कहता है सनातन धर्म
सनातन धर्म में बताया गया है कि जिस भी जगह सच्चे मन से देवी देवताओं का आह्वान किया जाता है, वहां वो अदृश्य रूप में मौजूद रहते हैं. ऐसे में अगर आप छठ पूजा में छत पर कृत्रिम कुंड बनाकर उसमें जल भरकर गंगा जल डालते है, तो वो कुंड उस पवित्र नदी के समान ही पवित्र हो जाता है. इसके बाद वहां वायु देवता का आह्वान करना चाहिए. ऐसा करने से छठ की पूजा छत पर करने और सूर्य को अर्ध्य देने का पूरा फल मिलता है.
शुद्धता का रखें विशेष ध्यान
ध्यान रहे कि छठ का त्योहार बेहद पवित्र माना जाता है, इसलिए इस पूजा में शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है. छठ का व्रत बेहद कठिन होता है. इस व्रत में महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. कल चौथे दिन उगते सूर्य को अर्ध्य देने के बाद छठ के व्रत का समापन होता है.
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