Mangalik Dosh: किसी की शादी में कुंडली का खास महत्व है. जिससे ग्रहों और गुणों का पता चलता है. कुंडली मिलान के समय मंगल ग्रह को विशेष महत्व दिया जाता है. आप सभी ने मांगलिक दोष के बारे में जरूर सुना होगा. मंगल एक ऐसा ग्रह है जिसकी ज्योतिष में विशेष महत्व है. यह नवग्रह का सबसे प्रभावशाली और शक्तिशाली ग्रह माना जाता है. इसका असर सबसे ज्यादा वैवाहिक जीवन पर पड़ता है. यह आपकी जन्म कुंडली से जुड़ा है और इसका आपके वैवाहिक जीवन पर अच्छा और बुरा असर पड़ सकता है. तो आइए जानते हैं कि मांगलिक दोष क्या होता है और इसका क्या महत्व है? क्या किसी मांगलिक की किसी गैर मांगलिक से शादी हो सकती है या नहीं?
मांगलिक दोष क्या होता है?
जब कुंडली में मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में होता है, तो इसे मांगलिक दोष कहते हैं. बता दें कि सातवां घर विवाह का घर होता है. ऐसे में जह मंगल इनमें से किसी भी भाव में होता है, तो इसका प्रभाव विवाह भाव पर पड़ता है. जिसकी वजह से आपके वैवाहिक जीवन में परेशानियां आ सकती हैं.
वैदिक ज्योतिष के अनुसार मांगलिक दोष को खतरनाक माना जाता है. ऐसे में अगर किसी लड़के या लड़की में से किसी एक की कुंडली में मंगलिक दोष है तो इसे बेहद अशुभ माना जाता है.
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क्या कोई मांगलिक किसी गैर मांगलिक से विवाह कर सकता है?
वैदिक ज्योतिष के अनुसार मंगल दोष वैवाहिक जीवन में नकारात्मक असर डाल सकता है. मांगलिक व्यक्तियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जो उनके गैर मांगलिक जीवनाथी को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है. मान्यताओं के अनुसार, एक मांगलिक व्यक्ति को दूसरे मांगलिक व्यक्ति से ही शादी करनी चाहिए.
जब कोई मांगलिक किसी गैर-मांगलिक से शादी करता है, तो मंगल दोष के नकारात्मक प्रभावों की गंभीरता उनकी जन्म कुंडली पर गहरा असर डालती है और उनकी समस्याओं को बढ़ा सकती है. जिससे अक्सर गृह क्लेश, वित्तीय अस्थिरता, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं या तलाक होने तक की संभावनाएं हो सकती हैं,
सभी मांगलिक और गैर-मांगलिक जोड़े गंभीर नकारात्मक प्रभाव का अनुभव नहीं करते हैं. इसका परिणाम अन्य ग्रहों की स्थिति, व्यक्तिगत विशेषताओं और विवाह के प्रति दृष्टिकोण पर निर्भर करता है. वैसे तो मांगलिक और गैर मांगलिक जोड़ो को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. पर सफल विवाह के लिए सही मानसिकता और दृष्टिकोण जरूरी होता है.

