Rajasthan Disciplinary Action: राजस्थान सरकार ने प्रशासनिक अनुशासन और पारदर्शिता को मजबूत करने के लिए भ्रष्टाचार, लापरवाही और अनुशासनहीनता के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार ने 8 मामलों में कुल 13 अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की है. यह कदम सरकार की जीरो टॉलरेंस पॉलिसी को दर्शाता है, जिसके तहत शासन में जवाबदेही और सुशासन को प्राथमिकता दी जा रही है.
भ्रष्ट आचरण, लापरवाही बर्दाश्त नहीं – सीएम भजनलाल
शनिवार को जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि जनता का प्रशासन पर विश्वास बनाए रखने के लिए किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के भ्रष्ट आचरण, लापरवाही या कदाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2018 की धारा 17-ए के तहत जल जीवन मिशन की निविदा प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं के मामले में तीन इंजीनियरों के खिलाफ जांच की मंजूरी दी है.
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सजा के तौर पर रोकी गई वेतन वृद्धि
इसके अलावा, दो मामलों में सेवारत अधिकारियों को लापरवाही के लिए दंडस्वरूप वार्षिक ग्रेड वेतन वृद्धि रोकने की सजा दी गई है. वहीं, एक रिटायर्ड अधिकारी की पेंशन रोकने का निर्णय राज्यपाल द्वारा मंजूर किया गया है. इसके अतिरिक्त, सीसीए नियमों के नियम 16 के तहत एक मामले की जांच रिपोर्ट को स्वीकार किया गया है और एक मामला राज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेजा गया है.
सरकार ने सीसीए नियमों के नियम 34 के तहत दायर दो अपीलों को भी खारिज करते हुए पहले से लगाए गए दंड को बरकरार रखा है. यह कार्रवाई दर्शाती है कि सरकार केवल वर्तमान में सेवारत अधिकारियों पर ही नहीं, बल्कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों पर भी जवाबदेही सुनिश्चित कर रही है.
आगे भी जारी रहेगी ऐसी कार्रवाई
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दोहराया कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार, लापरवाही और अनुशासनहीनता के मामलों में कोई नरमी नहीं बरतेगी. उनका कहना है कि राज्य प्रशासन में पारदर्शिता और जनता का विश्वास बनाए रखना सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसी दिशा में कार्रवाई लगातार जारी रहेगी.
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