कक्षा 3 की नन्हीं बच्ची की गुहार, आंसू देख पिघला पुलिस का दिल; सैकड़ों CCTV खंगाले, फिर जो हुआ

Madhya Pradesh News: शुजालपुर में तीसरी क्लास की बच्ची की मासूमियत और पढ़ाई के प्रति लगन ने पुलिस का दिल जीत लिया. उसका गुमा हुआ बैग ढूंढने के लिए खास टीम बनाई गई. पुलिसकर्मियों ने पूरी मुस्तैदी से ड्यूटी निभाई और उसका बैग ढूंढ़ निकाला.

Published by Mohammad Nematullah

Madhya Pradesh News: शुजालपुर में तीसरी क्लास की एक बच्ची की मासूमियत और पढ़ाई के प्रति लगन ने पुलिस का दिल जीत लिया है. उसका खोया हुआ बैग ढूंढने के लिए एक स्पेशल टीम बनाई गई. पुलिस अधिकारियों ने पूरी लगन से अपना फर्ज निभाया और कामयाबी से उसका बैग ढूंढ निकाला है. यह घटना शुजालपुर मंडी इलाके की है. सरस्वती शिशु मंदिर की छात्रा चेरी नायक गुरुवार को अपनी मां पूजा, दादी कृष्णा और मौसी रंजना के साथ स्कूल गई थी. वापस आते समय वह अपना बैग ऑटो-रिक्शा में भूल गई. जब वह घर पहुंची और उसे अपना बैग नहीं मिला, तो वह रोने लगी. उसे चिंता थी कि उसकी सारी किताबें और कॉपियां बैग में थी. उसके बिना वह पढ़ाई कैसे करेगी?

उसने अपनी समस्या अपने परिवार को बताई. उन्होंने उसे नया बैग किताबें और कॉपियां खरीदकर देने का वादा करके सांत्वना देने की कोशिश की. लेकिन चेरी अपनी बात पर अड़ी रही. उसने अपना बैग ढूंढने के लिए पुलिस से मदद लेने की जिद की. चेरी की जिद पर उसके पिता संदीप नायक और दादा अशोक नायक उसे शुजालपुर मंडी पुलिस स्टेशन ले गए. वहां चेरी ने खुद SDOP निमिष देशमुख को अपनी समस्या बताई है. बच्ची के आंसू देखकर उन्होंने तुरंत मदद करने का फैसला किया है.

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SDOP देशमुख ने बैग ढूंढने के लिए ट्रैफिक पुलिस की मदद लेने का फैसला किया. ट्रैफिक ASI धर्मेंद्र परास्ते और हेड कांस्टेबल सुनील गुर्जर को पूरे शहर के CCTV फुटेज देखने का काम सौंपा गया है.

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बिना नंबर प्लेट वाले ऑटो-रिक्शा को ढूंढना मुश्किल साबित हुआ है. CCTV फुटेज में चेरी एक ऑटो-रिक्शा में बैठते हुए दिखी, लेकिन उस पर नंबर प्लेट नहीं थी. पुलिस ने हार नहीं मानी. उन्होंने आगे लिखे नाम और ऊपर लगे लोहे के स्टैंड के आधार पर ऑटो-रिक्शा की तलाश करना शुरू की.

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ऑटो ड्राइवर का नंबर ढूंढना और कॉल करना

 पुलिस ने CCTV फुटेज से मिली जानकारी का इस्तेमाल करके इलाके के ऑटो-रिक्शा स्टैंड पर पूछताछ की. ऑटो ड्राइवर की पहचान परवेज के रूप में हुई. पुलिस ने उसके साथी ड्राइवरों से परवेज का फोन नंबर लिया है. उन्होंने उसे फोन किया और पूरी बात बताई है. परवेज ने बताया कि उसे स्कूल बैग अपने ऑटो-रिक्शा में मिला था, लेकिन वह यात्री को पहचान नहीं पाया, इसलिए उसने बैग को सुरक्षित रखने के लिए घर पर रख लिया था. जब तक यह सब हुआ, रात हो गई थी, इसलिए पुलिस ने परवेज़ से अगली सुबह बैग के साथ पुलिस स्टेशन आने को कहा.

CCTV फुटेज में चेरी अपनी मां और दादी के साथ ऑटो-रिक्शा में बैठते हुए दिखी

लड़की को बैग कंधे पर टांगकर भेज दिया गया. शुक्रवार सुबह परवेज बैग लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचा. पुलिस ने चेरी के पिता संदीप नायक को बुलाया. चेरी को पुलिस स्टेशन बुलाया गया, और उसका बैग प्यार से उसे वापस कर दिया गया है. अपना बैग वापस पाकर चेरी के चेहरे पर मुस्कान लौट आई. उसने पुलिस अधिकारियों को धन्यवाद भी किया है.

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SDPO निमिश देशमुख ने कहा कि लड़की की पढ़ाई के प्रति लगन देखकर, उन्होंने बैग ढूंढने में अपनी पूरी कोशिश की. ट्रैफिक पुलिस की मदद से बैग मिल गया है. लड़की को बैग कंधे पर टांगकर भेज दिया गया, परिवार के अनुरोध पर ऑटो ड्राइवर परवेज को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया, और उसे निर्देश दिया गया कि भविष्य में अगर उसे कोई खोई हुई चीज मिले तो वह तुरंत पुलिस को सौंप दे.

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