Tattoo Tourism: अब ट्रैवल का मतलब सिर्फ नई जगहें देखना या फ्रिज‑मैग्नेट इकट्ठा करना नहीं रह गया. आजकल लोग अपनी यात्राओं की यादों को जिंदगी भर के निशान में बदल रहे हैं. और, ये निशान हैं टैटू! हां, टैटू‑टूरिज्म (tattoo tourism) अब पूरी दुनिया में ट्रेंड बन चुका है. लोग यात्रा पर सिर्फ घूमने नहीं जाते, बल्कि एक ऐसा टैटू बनवाने, जो उस जगह की कहानी खुद में समेटे हो.
सोचिए, गोवा की सुनहरी धूप में समुद्र किनारे बैठकर अपने पसंदीदा कलाकार से टैटू बनवाना. हर डिज़ाइन सिर्फ कला नहीं, बल्कि उस सफर की याद, उस पल की कहानी और आपके अनुभव का हिस्सा बन जाता है. टैटू आर्टिस्ट Sunny Bhanushali कहते हैं. “टैटू‑टूरिज्म का मतलब है कि आप सिर्फ जगह देखने नहीं बल्कि उसकी संस्कृति. उसके कलाकार और उसकी रचनात्मकता को महसूस करने आए हैं.”
विश्व में कुछ ऐसे शहर हैं, जहां टैटू सिर्फ शरीर की सजावट नहीं बल्कि संस्कृति और इतिहास का हिस्सा हैं. थाईलैंड के कुछ मंदिरों में धार्मिक और प्रतीकात्मक टैटू बनते हैं. जापान में ‘तेबोरी’- हाथ से बनने वाली पारंपरिक पद्धति का चलन है, और पोलिनेशिया में टैटू पीढ़ियों की कहानियों का वाहक हैं.
तेजी से उभर रहा ट्रेंड
भारत में भी यह ट्रेंड तेजी से उभर रहा है. गोवा में हर साल टैटू‑फेस्टिवल आयोजित होता है. जहां भारतीय और विदेशी कलाकार अपनी कला दिखाते हैं. मुंबई और बैंगलोर जैसे शहरों में भी लोग अपने व्यक्तित्व और अनुभव के हिसाब से टैटू बनवा रहे हैं. ज्यामितीय डिज़ाइन से लेकर अनुभवात्मक कला तक.
टैटू‑टूरिज्म के साथ जिम्मेदारी
लेकिन, टैटू‑टूरिज्म के साथ जिम्मेदारी भी आती है. स्वच्छता, लाइसेंस वाले स्टूडियो और स्थानीय कला‑संस्कृति का सम्मान जरूरी है. कुछ डिजाइन किसी समुदाय के लिए खास होते हैं, उन्हें समझ कर ही अपनाना चाहिए. तो अगली बार जब आप यात्रा की योजना बनाएं. सोचिए- क्या आप सिर्फ तस्वीरें और यादें लेकर आएंगे या अपने अनुभव को स्थायी निशान के रूप में अपने शरीर पर भी उतारेंगे? टैटू अब सिर्फ शरीर की सजावट नहीं, बल्कि आपकी यात्रा की कहानी और पहचान बन गए हैं.

