Rebound Marriage after breakup: ब्रेकअप के तुरंत बाद किसी और से शादी कर लेना अक्सर समाज को हैरान कर देता है, लेकिन मनोवैज्ञानिकों के लिए यह एक जटिल मानवीय व्यवहार है। जिसे हम ‘रिबाउंड मैरिज’ (Rebound Marriage) कहते हैं, उसके पीछे केवल प्यार नहीं, बल्कि कई गहरे मनोवैज्ञानिक कारण छिपे होते हैं।
1. भावनात्मक दर्द से बचाव (Pain Management)
जब एक बेहद ही लंबा रिश्ता टूटता है, तो वह असहनीय मानसिक पीड़ा देने की कोशिश करता है. ऐसे में मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि रिबाउंड शादी इस दर्द को एक पेनकिलर के रूप में दबाने का काम करती है. नया रिश्ता और शादी की सारी रस्में दिमाग को पुराने दुख से भटकाकर नई खुशी देने पर ध्यान देने लगती है.
2. खुद को ‘योग्य’ साबित करने की होड़
तो वहीं, रिजेक्शन इंसान के आत्म-सम्मान (Self-esteem) को सबसे ज्यादा ठेस पहुंचाने का काम करती है. इसके साथ ही शादी के जरिए व्यक्ति खुद को और अपने पूर्व साथी (Ex) को यह साबित करना चाहता है कि वह अब भी ‘डिजायरेबल’ है और कोई और उसे अपना जीवनसाथी बनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
3. अकेलेपन का डर (Autophobia)
तो वहीं, दूसरी तरफ जो लोग लंबे समय तक रिलेशनशिप में रहे हैं, उन्हें अकेले रहने की आदत नहीं होती है और खालीपन का यह डर उन्हें जल्दबाजी में फैसला लेने पर मजबूर कर देता है. अक्सर लोगों को यह लगता है कि अगर उन्होंने तुरंत शादी नहीं की, तो वे जीवनभर अकेले ही रह जाएंगे.
4. प्रतिशोध की भावना (Revenge Factor)
कभी-कभी शादी ‘प्यार’ के लिए नहीं, बल्कि ‘बदला’ लेने के लिए भी की जाती है. ज्यादातर पूर्व साथी को ईर्ष्या महसूस कराने या फिर उन्हें यह दिखाने के लिए कि “मैं तुम्हारे बिना बहुत खुश हूँ और आगे बढ़ चुका हूँ,” लोग जल्दबाजी में शादी करने का बड़ा कदम उठाते हैं.
5. सामाजिक और पारिवारिक दबाव
इसके अलावा ब्रेकअप के बाद अक्सर परिवार और समाज का यह नजरिया होता है कि “अब उम्र निकल रही है, जल्दी सेटल हो जाओ”. लेकिन, भावनात्मक रूप से कमजोर व्यक्ति इस दबाव में आकर बिना सोचे-समझे शादी के लिए तैयार हो जाता है.
6. ‘हनीमून फेज’ का भ्रम
तो वहीं, दूसरी तरफ नए रिश्ते की शुरुआत में दिमाग में डोपामाइन और ऑक्सीटोसिन जैसे रसायनों का सैलाब उमड़ने लगता है. दरअसल, व्यक्ति को यह लगने लगता है कि नया साथी पुराने वाले से कहीं बेहतर होगा. बस, इस शुरुआती आकर्षण को लोग ‘सच्चा प्यार’ समझने लगते हैं और शादी का बड़ा फैसला कर लेते हैं.
क्या रिबाउंड शादियां सफल होती हैं?
रिबाउंड शादियों में जोखिम ज्यादा देखने को मिलता है. क्योंकि वे ‘समानता’ के बजाय ‘जरूरत’ पर टिकी होती हैं. जब शादी के कुछ महीनों बाद शुरुआती उत्साह कम होने लगता है और पुराने घाव फिर से उभरने लगते हैं, तब रिश्ते में दरार आने की संभावना पहले से और भी ज्यादा बढ़ने लग जाती है.
मनोवैज्ञानिक की सलाह ली जाए तो, ब्रेकअप के बाद खुद को समय (Grieving Period) देना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. जब तक आप पिछले रिश्ते के बोझ से पूरी तरह से मुक्त नहीं हो जाते हैं, तब तक आपको किसी भी रिश्ते में जल्दी से नहीं आना चाहिए. तो वहीं, रिबाउंड शादियां ज्यादातर भावनात्मक असुरक्षा और जल्दबाजी का परिणाम होती हैं. यह दुख से बचने का एक तरीका तो हो सकता है, लेकिन एक मजबूत और स्थायी रिश्ते की नींव के लिए आत्म-मंथन और हीलिंग (Healing) हर किसी के लिए बेहद ही जरूरी है.

