La Nina effect In India: इस बार दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना जताई गई है. मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस वर्ष ला-नीना प्रभाव उत्तर भारत की सर्दी को पहले की तुलना में ज्यादा तीखा बना सकता है. आम तौर पर नवंबर में हल्की ठंड महसूस होनी शुरू होती है, लेकिन इस वर्ष तापमान औसत से 1-2 डिग्री कम दर्ज किया गया, जो आगे आने वाली कठोर ठंड का संकेत है.
ला-नीना के चलते बढ़ेगी ठंड
मौसम विशेषज्ञों—विशेषकर स्काईमेट वेदर के प्रेसिडेंट जीपी शर्मा ने एनडीटीवी से बात करते हुए बताया कि दिसंबर से फरवरी के बीच ठंड सामान्य से अधिक रहने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि प्रशांत महासागर में ला-नीना की सक्रियता इस बदलाव का मुख्य कारण है. इस प्रभाव के चलते उत्तरी भारत में ठंड लंबी चलेगी और कड़ाके की ठंड वाले दिनों में भी 2 से 5 दिन की वृद्धि हो सकती है.
शर्मा के मुताबिक, फिलहाल 15 दिसंबर तक मौसम में कोई बड़ा उतार-चढ़ाव नजर नहीं आएगा, लेकिन उसके बाद तापमान तेजी से नीचे जा सकता है. खासकर यदि कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बर्फबारी जारी रहती है तो उसका सीधा असर दिल्ली-एनसीआर के तापमान पर पड़ेगा.
क्या है ला-नीना? कैसे पड़ेगा भारत पर इसका असर?
ला-नीना एक प्राकृतिक महासागरीय-मौसमी घटना है, जिसके तहत पूर्वी और मध्य प्रशांत महासागर की सतह का तापमान सामान्य से कम हो जाता है. इससे चलने वाली ट्रेड विंड्स काफी तेज हो जाती हैं और दक्षिण अमेरिका से ऑस्ट्रेलिया एवं एशिया की तरफ अधिक ठंडी हवाएं पहुंचती हैं. इस कारण दक्षिण अमेरिका के तटीय क्षेत्रों में ठंड बढ़ती है, जबकि ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में भारी बारिश होती है. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार ला-नीना का चक्र एल नीनो की तुलना में लंबा होता है और यह एक से चार साल तक चल सकता है.
उत्तर भारत में देखने को मिल सकती है कड़ाके की ठंड
भारत में ला-नीना के प्रभाव का मतलब उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड, ज्यादा धुंध, और कई बार लंबी शीतलहर के रूप में देखा जाता है. इस बार भी यही रुझान नजर आ रहा है. मौसम विभाग ने अनुमान लगाया है कि दिसंबर से फरवरी तक सामान्य से कम औसत तापमान रहेगा, जिसके चलते पूर्वांचल के दक्षिणी हिस्से को छोड़कर पूरे उत्तर भारत में शीतलहर के दिनों में बढ़ोतरी संभव है.
विशेषज्ञों की माने तो इस बार उत्तर भारत में ठंड लंबी और अधिक तीखी होगी. ला-नीना का प्रभाव दिसंबर से फरवरी तक जारी रह सकता है, जिससे दिल्ली-एनसीआर सहित समूचे उत्तर भारत को कड़ाके की सर्दी देखने को मिल सकती है.
जीपी शर्मा ने यह भी कहा कि कश्मीर से हिमाचल और उत्तराखंड तक जब भी भारी बर्फबारी होती है, उसका प्रभाव सबसे तेज़ी से दिल्ली और आसपास के मैदानी इलाकों पर दिखाई देता है. यदि आने वाले दिनों में बर्फबारी बढ़ी रही, तो 15 से 20 दिसंबर के बीच न्यूनतम तापमान में अचानक गिरावट दर्ज की जा सकती है.

