Delhi Red Fort Blast: दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके की जांच ने देशभर की एजेंसियों को एक बड़े आतंकी नेटवर्क तक पहुंचा दिया है. जांच के दौरान न सिर्फ 2,900 किलो से ज्यादा विस्फोटक बरामद हुए, बल्कि डॉक्टरों जैसे पढ़े लिखे लोगों की गिरफ्तारी ने एक नए तरह के व्हाइट कॉलर आतंकवाद का चेहरा सामने रखा. अब एजेंसियां इस पूरी साजिश की पजल को जोड़ने में जुटी हैं, ताकि पता लगाया जा सके कि लाल किले धमाके से पहले और बाद में क्या-क्या योजनाएं बनी थीं.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और अन्य खुफिया एजेंसियों की जांच में खुलासा हुआ है कि आतंकी मॉड्यूल ने चार शहरों में कुल आठ धमाकों की तैयारी कर रखी थी. इन धमाकों की तारीखें भी तय थीं 25 नवंबर और 6 दिसंबर.सूत्रों के मुताबिक, 25 नवंबर को अयोध्या में राम मंदिर के मेन शिखर पर ध्वजारोहण कार्यक्रम के दौरान विस्फोट की योजना बनाई गई थी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी भी थी. 6 दिसंबर को दिल्ली में एक और घटना को अंजाम देने की तैयारी थी.
डॉ. उमर नबी की गतिविधियों पर नजर
जम्मू-कश्मीर पुलिस के सूत्र बताते हैं कि जांच का मेन फोकस इस समय डॉक्टर उमर नबी पर है, जिसे आत्मघाती हमलावर की भूमिका में बताया जा रहा है. 30 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच उसके कदमों पर गहराई से जांच की जा रही है वह किससे मिला, कहां गया और क्या तैयारी की.
उसी दौरान उसके साथी डॉ. मुजम्मिल को गिरफ्तार किया गया था, जिसका नाम एक अन्य आरोपी डॉ. आदिल राथर की पूछताछ में सामने आया था. 30 अक्टूबर तक यह मॉड्यूल गाड़ियों और विस्फोटक सामग्री की पूरी व्यवस्था नहीं कर पाया था, लेकिन 10 नवंबर आते-आते उन्होंने एक कार में हाई-ग्रेड विस्फोटक भर दिया. यही वही कार थी जो लाल किले के पास फटी. एजेंसियों को शक था कि इस दौरान किसी बाहरी मदद मिली और अब ये सुराग मिलने की बात कही जा रही है.
विदेशी हैंडलर और डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल
जांच में बड़ा खुलासा ये भी हुआ कि इस साजिश की शुरुआत 2022 में विदेश से हुई थी, हैंडलर ‘उकासा’ ने उमर और मुजम्मिल को लगातार निर्देश दिए और उन्हें कार्रवाई के लिए प्रेरित किया. दोनों आरोपी 2023 से जनवरी 2025 तक कई बार लाल किले के आसपास रेकी भी कर चुके थे.
शुरुआत में बातचीत टेलीग्राम पर होती थी, लेकिन सुरक्षा बढ़ाने के लिए बाद में सिग्नल और सेशन ऐप का उपयोग किया गया. पुराने वाहनों में विस्फोटक लगाकर उन्हें हथियार की तरह इस्तेमाल करने की तैयारी चल रही थी. एजेंसियों के अनुसार, इस मॉड्यूल का उद्देश्य देशभर में डर फैलाना था. लेकिन समय रहते योजना को रोक दिया गया. सरकारी सूत्रों ने बताया है कि इस मामले में सभी मेन आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं और पूछताछ जारी है.

