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हिंदी की वजह से मिले 2 धुर विरोधी भाई राज-उद्धव ठाकरे, मंच पर परिवार के साथ दिखे एक साथ, महाराष्ट्र की राजनीति में आ गया भूकंप

Raj-Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र की राजनीति में बहुत बड़ा फेरबदल होता हुआ दिखाई दे रहा है। दरअसल, दो धुर विरोधी भाई उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक मंच पर आ रहे हैं।

Published by Sohail Rahman

Raj-Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र की राजनीति में बहुत बड़ा फेरबदल होता हुआ दिखाई दे रहा है। दरअसल, दो धुर विरोधी भाई उद्धव  ठाकरे और राज ठाकरे एक मंच पर आ रहे हैं। जिससे महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उथल पुथल देखने को मिल रहा है। राज ठाकरे और उद्धव दोनों भाई वर्ली में मराठी विजय दिवस मनाने के नाम पर मंच साझा कर रहे हैं, लेकिन राजनीतिक पंडित इस बात का आकलन कर रहे हैं कि क्या दोनों भाइयों का साथ आना महाराष्ट्र की राजनीति में कोई बड़ा बदलाव साबित होने वाला है?

राज ठाकरे ने कही ये बात

राज ठाकरे ने इस मंच से कहा कि, गैर-हिंदी राज्य ज्यादा प्रगतिशील हैं और हमें हिंदी सीखनी चाहिए? हमें मराठी क्यों सीखनी चाहिए? मुझे हिंदी के लिए बुरा नहीं लगता, कोई भी भाषा अच्छी होती है। मराठी, तमिल, बंगाली, हिंदी। भाषा बनाने में कड़ी मेहनत लगती है। अमित शाह ने कहा कि जो अंग्रेजी जानता है उसे शर्म आएगी, यही आपकी समस्या होगी। हमने इस क्षेत्र पर 125 साल तक राज किया, क्या हमने मराठी थोपी? हम फंस गए, क्या हमने थोपी? हिंदी 200 साल पुरानी है। उन्होंने बस हमारी परीक्षा ली।

अपने परिवार के साथ मौजूद थे राज ठाकरे

राज ठाकरे अपनी पत्नी शर्मिला और बेटे अमित, बेटी उर्वशी के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। उद्धव भी अपनी पत्नी रश्मि और बेटों आदित्य, तेजस के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। इसके अलावा, बताया जा रहा है कि, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे वर्ली में ‘विजय सभा’ ​​में आने से पहले शिवाजी पार्क स्थित बाल ठाकरे के स्मारक ‘स्मृति स्थल’ का दौरा कर सकते हैं।

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संजय राउत ने क्या कहा?

रैली को लेकर शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा, “… यह महाराष्ट्र में हम सभी के लिए एक त्यौहार की तरह है कि ठाकरे परिवार के दो प्रमुख नेता, जो अपनी राजनीतिक विचारधाराओं के कारण अलग हो गए थे, आखिरकार 20 साल बाद एक मंच साझा करने के लिए एक साथ आ रहे हैं। हमारी हमेशा से यही इच्छा रही है कि हम उन लोगों से लड़ें जो महाराष्ट्र के लोगों के खिलाफ हैं। आज एक साथ आकर उद्धव और राज ठाकरे निश्चित रूप से मराठी मानुस को दिशा देंगे।

इस पुनर्मिलन को एक राजनीतिक भूकंप के रूप में माना जा रहा है क्योंकि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) लंबे समय से अलग-अलग रास्तों पर चल रहे हैं। लेकिन ठाकरे भाइयों ने मिलकर केंद्र द्वारा लाए गए त्रि-भाषा फॉर्मूले का विरोध किया, जिसके कारण राज्य सरकार को प्रस्तावित नीति को फिलहाल स्थगित करना पड़ा।

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