NCERT Syllabus Controversy: एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर देश में सियासत तेज हो गई है। अब इस जंग में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी उतर आए हैं। हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने इस मामले में बीजेपी के साथ-साथ आरएसएस पर भी हमला बोला है। ओवैसी ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस जब भी सत्ता में आते हैं, इतिहास बदल देते हैं।
एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा कि बंटवारे को लेकर झूठ बोला जाता है। आजादी के वक्त 98 फीसदी मुसलमानों ने वोट नहीं दिया था। इतिहास छिपाया जा रहा है और उनकी विचारधारा बताई जा रही है। यह सब एनसीईआरटी की किताब में बताया जाना चाहिए।
संघ परिवार इस मुल्क में नफरत फैलाता है – ओवैसी
ओवैसी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री आरएसएस की तारीफ़ कर रहे हैं। आरएसएस के लोग आज़ादी की लड़ाई में अंग्रेजों से मिले हुए थे। संघ परिवार इस देश में नफरत फैलाता है और प्रधानमंत्री आरएसएस की तारीफ कर रहे हैं। हिंदुत्व की विचारधारा भारत के संविधान के बिल्कुल ख़िलाफ है। आरएसएस की शपथ एक समुदाय की बात करती है। यह एक धर्म की बात करती है।
ओवैसी ने आगे श्यामा मुखर्जी का ज़िक्र करते हुए कहा कि 1941 में जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंगाल कैबिनेट में मंत्री थे, तब फजलुल हक़ उनका नेतृत्व कर रहे थे, जिन्होंने 1940 के लाहौर अधिवेशन में मुस्लिम लीग का पाकिस्तान प्रस्ताव पेश किया था और आज प्रधानमंत्री उन्हीं की बात कर रहे हैं। हम दार्शनिक रूप से भाजपा के ख़िलाफ थे और हमेशा रहेंगे।
चीन से भी बड़ा खतरा RSS – ओवैसी
पीएम मोदी ने 15 अगस्त को RSS की तारीफ की थी। इसके बाद ओवैसी ने आरएसएस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि हमारा सबसे बड़ा ख़तरा बाहरी नहीं, बल्कि उससे भी बड़ा ख़तरा भीतर से है – संघ परिवार द्वारा फैलाई जा रही नफ़रत और विभाजनकारी भावना। अपनी आज़ादी को सही मायने में सुरक्षित करने के लिए, हमें ऐसी सभी ताकतों को हराना होगा। उन्होंने आगे कहा कि आरएसएस समावेशी राष्ट्रवाद के उन मूल्यों को नकारता है जिनसे हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरणा मिली।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी नागपुर जाकर एक स्वयंसेवक के तौर पर आरएसएस की तारीफ़ कर सकते थे, लेकिन प्रधानमंत्री रहते हुए उन्हें लाल किले से ऐसा क्यों करना पड़ा?
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