Justice Surya Kant: आज न्यायमूर्ति सूर्यकांत भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में पद ग्रहण कर लिया है. वे पहले के CJI, न्यायमूर्ति बी.आर. गवाई की जगह लें चुके हैं, जो आज शाम रिटायर होंगे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में शपथ दिलाई. न्यायमूर्ति सूर्यकांत को 30 अक्टूबर 2025 को मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. वे इस पद पर लगभग 15 महीने तक कार्य करेंगे. उनका सेवानिवृत्ति का समय 9 फरवरी 2027 है, जब वे 65 साल के हो जाएंगे.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत का न्यायिक अनुभव लंबा और समृद्ध रहा है. उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में न्याय दिया है. उनके पद ग्रहण से सुप्रीम कोर्ट में नई उम्मीदें जुड़ी हैं. उनका काम न्यायपालिका को मजबूत बनाने में सहायक माना जाता है. लोग उनके न्यायप्रिय और ईमानदार फैसलों की सराहना करते हैं.
Justice Surya Kant Education: प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
न्यायमूर्ति सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार जिले में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ. उनके पिता और माता ने उन्हें ईमानदारी, मेहनत और नैतिक मूल्यों के महत्व का पाठ पढ़ाया. बचपन से ही सूर्यकांत पढ़ाई में टॉपर रहे.
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने जिले में पूरी की और बाद में कानून की पढ़ाई के लिए आगे बढ़े. उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से 2011 में मास्टर ऑफ लॉ की डिग्री ‘फर्स्ट क्लास फर्स्ट’ के साथ पूरी की. ये उनके कठिन परिश्रम और न्याय के प्रति समर्पण का संकेत था.
Justice Surya Kant Career: न्यायिक करियर की शुरुआत
सूर्यकांत ने अपने करियर की शुरुआत छोटे शहर में वकालत से की. उन्होंने कठिन मेहनत और न्याय के प्रति सच्ची प्रतिबद्धता दिखाई, जिससे उन्हें जल्दी ही लोगों और न्यायिक क्षेत्र में पहचान मिली. वे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में कई महत्वपूर्ण मामलों में न्याय देते रहे. उनके कई निर्णय मौलिक अधिकारों और कानून की रक्षा में महत्वपूर्ण माने जाते हैं.
5 अक्टूबर 2018 को उन्हें हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया. इस पद पर रहते हुए उन्होंने न्यायिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाने पर ध्यान दिया. उन्होंने नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी और अदालतों के कामकाज को और प्रभावी बनाने के लिए कई सुधार किए. सूर्यकांत की ईमानदारी, न्यायप्रियता और अनुभव ने उन्हें न्यायपालिका में सम्मानित स्थान दिलाया. उनके काम से जनता में न्याय के प्रति विश्वास मजबूत हुआ और न्यायिक व्यवस्था को मजबूती मिली.
सुप्रीम कोर्ट और संवैधानिक योगदान
न्यायमूर्ति सूर्यकांत का सुप्रीम कोर्ट में कार्यकाल संवैधानिक और राष्ट्रीय मामलों के लिए महत्वपूर्ण रहा है. उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसलों में हिस्सा लिया. उनके निर्णय समाज, लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों को सुदृढ़ बनाने वाले रहे हैं.
अनुच्छेद 370 का ऐतिहासिक फैसला
सूर्यकांत उस पांच न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा थे जिसने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला वैध ठहराया. ये निर्णय देश के संवैधानिक इतिहास में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ.
राजद्रोह कानून पर रोक
उन्होंने धारा 124A (राजद्रोह) पर रोक लगाने वाली पीठ का हिस्सा रहे. इस निर्णय में केंद्र और राज्यों को निर्देश दिया गया कि सरकार कानून की समीक्षा पूरी किए बिना इसे लागू न करे.
पेगासस जासूसी मामले में योगदान
पेगासस स्पाइवेयर विवाद में न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने साइबर विशेषज्ञों की समिति बनाने में भूमिका निभाई. अदालत ने साफ किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर सरकार को असीमित शक्ति नहीं दी जा सकती.
बिहार मतदाता सूची विवाद
उन्होंने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि बिहार की मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों की जानकारी सार्वजनिक की जाए. इससे चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी.
महिलाओं के अधिकार और स्थानीय शासन
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने एक महिला सरपंच को गैरकानूनी हटाए जाने के बाद बहाल किया. उन्होंने बार एसोसिएशनों में महिलाओं के लिए 1/3 सीटें आरक्षित करने का ऐतिहासिक आदेश भी दिया.
वन रैंक-वन पेंशन (OROP)
उन्होंने OROP योजना को संवैधानिक मान्यता दी और इसे सही ठहराया. ये कदम सेवानिवृत्त और सेवा में लगे सैनिकों के लिए बड़ा साबित हुआ.
अभिव्यक्ति और सामाजिक मर्यादा
सूर्यकांत ने ये भी साफ किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब ये नहीं कि सामाजिक मर्यादाओं का उल्लंघन किया जा सकता है.
राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों पर विचार
वे उस संविधान पीठ का हिस्सा हैं जो राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई कर रही है. उनके फैसले देश के विभिन्न राज्यों में राजनीतिक और संवैधानिक मामलों में दिशा-निर्देश देने में सहायक होंगे.
न्यायिक दृष्टिकोण और समाज पर प्रभाव
न्यायमूर्ति सूर्यकांत का न्यायिक दृष्टिकोण समाज में न्याय, समानता और पारदर्शिता को बढ़ावा देने वाला रहा है. उनके फैसले महिलाओं, ग्रामीण जनता और नागरिक स्वतंत्रता के पक्ष में रहे हैं.
वे यह मानते हैं कि न्याय केवल कानून लागू करने तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि ये समाज में समानता और अधिकारों की रक्षा भी सुनिश्चित करे. उनके निर्णयों में हमेशा संविधान की मूल भावना, लोकतांत्रिक आदर्श और मानवाधिकारों की सुरक्षा झलकती है.
न्यायिक संगठनों में योगदान
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विधिक संस्थाओं में भी योगदान दिया है. वे राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के शासी निकाय के सदस्य रहे. इसके अलावा, उन्होंने विभिन्न विधिक समितियों में सक्रिय भूमिका निभाई, जिससे न्याय प्रणाली और विधिक शिक्षा में सुधार हुआ.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत का सफर संघर्ष, मेहनत और नैतिकता का उदाहरण है. छोटे शहर से शुरू होकर वे देश के सर्वोच्च न्यायालय के शीर्ष पद तक पहुंचे. उनके फैसले न केवल कानून के क्षेत्र में बल्कि समाज में न्याय, पारदर्शिता और समानता को मजबूत करते हैं. आज जब वे भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ले रहे हैं, तो न्यायपालिका के लिए ये गर्व का क्षण है.

