Akash Prime Advance Missile Defence System: भारतीय सेना ने हाल ही में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित आकाश प्राइम डिफेंस सिस्टम का लद्दाख में सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण लगभग 15,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर किया गया, जहां इस मिसाइल सिस्टम ने तेज गति से उड़ने वाले हवाई लक्ष्यों को बेहद सटीकता के साथ मार गिराया.
यह सफलता न केवल भारत की रक्षा क्षमता को एक नए स्तर पर ले जाती है बल्कि यह देश के स्वदेशी सैन्य प्रौद्योगिकी विकास और आत्मनिर्भर भारत मिशन को भी मजबूती प्रदान करती है.
आकाश प्राइम – ज्यादा सटीक और एडवांस
आकाश प्राइम, पहले से मौजूद आकाश मिसाइल सिस्टम का अपग्रेडेड और अत्याधुनिक संस्करण है. इसमें स्वदेशी एक्टिव रेडार सीकर लगाया गया है, जो इसे किसी भी मौसम, टेरेन और जटिल परिस्थितियों में अधिक सटीकता के साथ निशाना साधने में सक्षम बनाता है. यह सिस्टम हवा में तेजी से गतिशील खतरों का पता लगाने, उन्हें ट्रैक करने और प्रभावी रूप से मार गिराने की क्षमता रखता है.
इस उन्नत तकनीक की वजह से आकाश प्राइम दुनिया के कई समान मिसाइल रक्षा प्रणालियों के मुकाबले कम लागत में अधिक क्षमता प्रदान करता है, जिससे यह वैश्विक स्तर पर भी आकर्षण का केंद्र बन रहा है.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने देखी ताकत
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आकाश प्रणाली के प्रदर्शन ने दुनिया भर में भारत की मिसाइल क्षमता का लोहा मनवाया था. इसी के बाद कई देशों की इस मिसाइल सिस्टम में दिलचस्पी बढ़ी. भारत पहले हीअर्मेनिया के साथ इसकी डील कर चुका है और तुर्किए के रक्षा विशेषज्ञों ने भी इसके प्रदर्शन की सराहना की है. आकाश प्राइम के सफल परीक्षण के बाद इसके एक्सपोर्ट की संभावनाएं और तेज़ हो सकती हैं, जिससे भारत का रक्षा बाजार में प्रभाव और बढ़ेगा.
भारत के लिए आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण
आकाश प्राइम का विकास न केवल सैन्य उपयोग के लिए बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. यह प्रणाली विदेशी मिसाइल डिफेंस सिस्टम की तुलना में काफी कम लागत में विकसित की गई है, जिससे भारत को रक्षा खरीद में बड़ा आर्थिक लाभ मिलता है. इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन और संभावित निर्यात भारत के रक्षा उद्योग को मजबूती देंगे और देश की GDP में योगदान बढ़ाएंगे.
आकाश प्राइम का सफल परीक्षण भारत की रक्षा तैयारियों, तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक रक्षा बाजार में बढ़ती भूमिका का सशक्त संकेत है. यह सिस्टम भारतीय सेना को आधुनिक खतरों का सामना करने की क्षमता देता है और भविष्य की युद्ध स्थितियों के लिए एक विश्वसनीय ढाल साबित होगा.

