हिमाचल का कोल्ड डेजर्ट यूनेस्को की बायोस्फीयर रिजर्व सूची में शामिल, भारत के लिए गर्व की बात !

हिमाचल प्रदेश के कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिजर्व (CDBR) को अब यूनेस्को (UNESCO) के प्रतिष्ठित वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व्स (WNBR) में शामिल कर लिया गया है.

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Cold Desert Biosphere Reserve of Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश के कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिजर्व (CDBR) को अब यूनेस्को (UNESCO) के प्रतिष्ठित वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व्स (WNBR) में शामिल कर लिया गया है. यह मान्यता हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में फैले 7 हजार 770 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय संरक्षण मानचित्र पर लाती है. 

भारत में WNBR की संख्या बढ़कर हुई 13:

इस नई सूची में शामिल होने के बाद भारत के पास अब WNBR में कुल 13 बायोस्फीयर रिजर्व्स हो गए हैं. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ‘X’ पर जानकारी देते हुए बताया कि कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिजर्व को शामिल करने का निर्णय यूनेस्को के इंटरनेशनल कोऑर्डिनेटिंग काउंसिल ऑफ द मैन एंड द बायोस्फीयर (MAB) के 37वें सत्र में पेरिस में लिया गया है. जिसपर हिमाचल प्रदेश के मुख्य वन्यजीव अधिकारी अमिताभ गौतम ने बताया कि यह मान्यता अंतरराष्ट्रीय शोध सहयोग, जिम्मेदार इको-टूरिज़्म और हिमालय में जलवायु लचीलापन बढ़ाने में काफी मदद करने का काम भी करेगी. 

26 नए बायोस्फीयर रिजर्व्स WNBR में शामिल:

यूनेस्को के मुताबिक, इस बार 21 देशों के 26 नए बायोस्फीयर रिजर्व्स को WNBR में शामिल किया गया है, जो पिछले 20 सालों में सबसे अधिक संख्या है. अब WNBR में 142 देशों के 785 स्थल शामिल हैं. 

कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिजर्व के बारे में:

कोल्ड डेजर्ट रिजर्व ट्रांस-हिमालयन क्षेत्र में फैला हुआ है, इसमें स्पीति वाइल्डलाइफ डिवीजन और लाहौल फॉरेस्ट डिवीजन के आसपास के क्षेत्र भी शामिल हैं. 

क्षेत्र: बरालाचा पास, भारतपुर और सर्चू

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ऊंचाई: 3,300 से 6,600 मीटर 

संरक्षित क्षेत्र: पिन वैली नेशनल पार्क, किब्बर वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी, चंद्रताल वेटलैंड और सर्चू मैदान

वनस्पति: यहां 655 जड़ी-बूटियां, 41 झाड़ियां और 17 पेड़ प्रजातियां पाई जाती हैं

वन्यजीवन: 17 स्तनधारी और 119 प्रकार की प्रजाति की पक्षियां मौजूद हैं

लगभग 12 हजार लोग पारंपरिक पशुपालन, याक और बकरी पालन, जौ और मटर की खेती और तिब्बती जड़ी-बूटी चिकित्सा का अभ्यास करते हैं. यह पारंपरिक ज्ञान बौद्ध मठ और स्थानीय पंचायतों के माध्यम से संरक्षित होता है. 

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