Dragon Fruit farming: भारत के किसान हमेशा ऐसी फसलों की तलाश में रहते हैं, जिनसे अच्छी आमदनी हो सके और जोखिम भी कम रहे. बदलते मौसम और जलवायु परिस्थितियों के कारण अब किसानों का रुझान फलों की खेती की ओर बढ़ रहा है. महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्यों में किसानों ने पारंपरिक अनाज की खेती छोड़कर फलों की खेती शुरू की है, जिससे उनकी आमदनी कई गुना बढ़ गई है. इन्हीं फसलों में से एक है ड्रैगन फ्रूट (कमलम), जिसकी खेती अब किसानों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है.
झारखंड के रांची, खूंटी और आसपास के जिलों में अब किसान बड़े पैमाने पर ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. कई किसानों ने कृषि विज्ञान केंद्र से इसकी ट्रेनिंग ली है ताकि वे वैज्ञानिक तरीकों से उत्पादन कर सकें. रांची के कुछ किसानों का कहना है कि ड्रैगन फ्रूट की फसल लगभग डेढ़ साल में फल देने लगती है. ये पौधा सूखे और गर्म मौसम में भी आसानी से पनप जाता है, इसलिए ये कई इलाकों के लिए सही है.
स्वास्थ्य और बाजार दोनों में लाभदायक फल
ड्रैगन फ्रूट दिखने में सुंदर और स्वाद में मीठा होता है. इसमें विटामिन, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसके कारण ये स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है और बाजार में इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है. यही वजह है कि इसकी मांग लगातार बढ़ रही है और किसान इसे एक लाभदायक विकल्प के रूप में अपना रहे हैं.
ट्रेनिंग से बढ़ेगी उत्पादन क्षमता
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू करने से पहले किसानों को सही ट्रेनिंग लेना बहुत जरूरी है. सही किस्म का पौधा, सिंचाई व्यवस्था और पौधों की देखभाल के तरीके सीखने से लागत घटती है और उत्पादन बढ़ता है. इससे नुकसान की संभावना भी बहुत कम हो जाती है.
कितनी होती है कमाई
एक पौधा लगभग 12 से 15 महीनों में फल देने लगता है. एक पौधे से करीब 100 से 120 फल मिल सकते हैं, जिनका वजन 300 से 800 ग्राम तक होता है. अगर एक फल औसतन 300 रुपये प्रति किलो बिके, तो एक पौधे से लगभग 36,000 रुपये की आमदनी हो सकती है. अगर कोई किसान 100 पौधे लगाता है, तो वो एक सीजन में लगभग 36 लाख रुपये तक कमा सकता है.
ड्रैगन फ्रूट का पौधा साल में दो से चार बार फल देता है. इस तरह एक साल में किसान 70 लाख से लेकर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा तक की आमदनी हासिल कर सकते हैं, बशर्ते पौधों की सही देखभाल की जाए.
खर्च और सरकारी सहायता
शुरुआत में ड्रैगन फ्रूट की खेती पर एक एकड़ में करीब 4 से 6 लाख रुपये तक का खर्च आता है. इसमें पौधे, खंभे, सिंचाई प्रणाली और मिट्टी की तैयारी शामिल होती है. लेकिन ये खर्च केवल शुरुआती साल में होता है, क्योंकि ड्रैगन फ्रूट का पौधा 25 से 30 साल तक फल देता है.
सरकार भी किसानों को एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) के तहत अनुदान प्रदान करती है, जिससे किसान आसानी से ये खेती शुरू कर सकते हैं.

