How Local Kashmiri Help Terrorist In India: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से हर भारतीय के मन में खौफ है कि कहीं दुबारा से पहलगाम हमले की तरह कोई वारदात न हो जाए। चारों तरफ जवानों की निगाह होने के बाद भी कहीं न कहीं से आतंकवादी आतंक मचा ही देते थे। पहलगाम हमले के दौरान भी पाकिस्तान की तरफ से लगातार फायरिंग की गई। वहीँ, भारतीय सेना ने भी इस हमले का मुंहतोड़ जवाब दे रही है। वहीँ अब सवाल भी उठ रहा है कि सेना की कड़ी चौकसी के बावजूद भी आतंकी सीमा पार से आकर कश्मीर में बड़ी वारदात को कैसे अंजाम दे देते हैं, कैसे निर्दोष लोगों की हत्या कर देते हैं? कैसे वहां के स्थानीय लोग इस वारदात में उनकी मदद करते हैं। तो इस सवाल का जवाब मिल गया है। आइए जान लेते हैं कि कैसे कुछ कश्मीरी आतंकवादियों को पनाह देते हैं?
अमित शाह ने आज सदन में कही ये बात
ऑपरेशन सिंदूर पर अपनी बात रखते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जानकारी देते हुए कहा कि, पहलगाम हमले में शामिल 3 आतंकियों को मार गिराया गया है और इन आंतकियों का साथ देने वाले दो लोगों को भी हिरासत में लिया गया है। पहलगाम हमले के बाद बार-बार ये सवाल उठाए जा रहे हैं कि, बिना स्थानीय लोगों के सहयोग से आतंकी इतनी बड़ी घटना को अंजाम कैसे दे सकते हैं। केंद्रीय एजेंसियां लगातार ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें हिरासत में ले रही है, जिन्होंने आतंकियों की मदद की थी।
लेफ्टिनेंट कर्नल ने खोले कई बड़े राज
भारतीय सेना से रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल उमंग कोहली ने एक निजी पॉडकास्ट में इस बात का खुलासा किया कि ‘आतंकवादी सबसे पहले किसी स्थानीय व्यक्ति को पकड़ते हैं। जैसे कोई बुज़ुर्ग महिला! या तो उसे पैसों की सख़्त ज़रूरत होती है या फिर उसे डर होता है कि आतंकवादी उसके परिवार को मार देंगे या उसकी बेटी के साथ कुछ ग़लत कर देंगे। ऐसे में वह महिला आतंकवादियों की मदद के लिए तैयार हो जाती है।”
खाट खड़ी कर देते हैं सिग्नल
उन्होंने बताया कि, इसके बाद, महिला आतंकवादियों को इशारा करती है कि आस-पास भारतीय सेना है या नहीं। उदाहरण के लिए, अगर महिला की छत पर कोई खाट खड़ी है, तो इसका मतलब है कि आस-पास कोई भारतीय सेना नहीं है। वहीं, अगर छत पर कोई खाट पड़ी है, तो इसका मतलब है कि आस-पास सेना के जवान हैं। स्थानीय लोगों को यह समझने में समय लगता है कि ये हरकतें सेना की हैं।
आसानी से समझ लेते हैं आतंकी
ये संकेत ऊपर से आतंकियों को आसानी से समझ आ जाते हैं। क्योंकि ये उनकी प्लानिंग का एक हिस्सा होता है। जहाँ सेना नहीं होती, वहाँ वो रात के अंधेरे में उस महिला के घर आ जाते हैं। यहाँ पहले तो खूब खाते-पीते हैं। अगर उन्हें आसपास से खतरा महसूस होता है, तो स्थानीय लोगों के घरों के अंदर आतंकियों के लिए बंकर बना दिए जाते हैं। वो उनमें छिप जाते हैं। इन सब से बचकर आखिरकार आतंकी स्थानीय लोगों की मदद से घाटी में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देते हैं।

