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Bhupesh Baghel Scams: बेटे Chaitanya को बचाने की खातिर जनता को मूर्ख बना रहे बघेल, 15000 करोड़ से भी बड़े घोटाले की पूरी पोल-पट्टी

Bhupesh Baghel And Son Chaitanya Baghel Scams: छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री के तौर पर भूपेश बघेल ने घोटालों का साम्राज्य खड़ा किया था। अब ED ने उनके बेटे को धर दबोचा तो जनता को भटकाने की कोशिश चालू हो गई है।

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Chhattisgarh Chief Minister Son Arrest Liquor Scam: भूपेश बघेल का छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री के तौर पर जितना भी कार्यकाल है वो बस एक ही बात के लिए जाना जाएगा और वो है ‘व्यवस्थागत भ्रष्टाचार से भरा सिस्टम’। कहने को तो वो जनता का भला करने वाले थे, लेकिन उनकी सरकार ने तो सरकारी सिस्टम का इस्तेमाल करके लूट-पाट के लिए किया। जो भी काला पैसा आता था, उसे रियल एस्टेट और फर्जी कंपनियों के जरिए ‘सफेद’ किया जाता था और भ्रष्टाचार में संलिप्त बड़े-बड़े खिलाड़ियों को अपनी राजनीतिक ताकत से बचाया जाता था।

अब जब ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है तब जाकर कई घोटालों पर मुकदमे चलने शुरू हुए हैं। भूपेश बघेल इस कदर घिरे हैं कि कानूनी तौर पर अपना बचाव तक नहीं कर रहे हैं और लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। जनता को भटकाने के लिए उनकी ताजा चाल ये है कि अपनी पारिवारिक कानूनी मुश्किलों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और अडानी समूह को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

आगे जानें बघेल सरकार में किस तरह ₹15,000 करोड़ से भी बड़ा भ्रष्टाचार का साम्राज्य खड़ा किया गया और अब तक पोल-खोल के साथ इनका क्या स्टेटस है?

घोटाला कितने करोड़ लूटे कैसे दिया अंजाम कौन कौन था शामिल क्या हुई कार्रवाई
1. शराब घोटाला ₹3,100+ करोड़ हिसाब-किताब के बाहर का शराब बांटने का धंधा छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन (CSMCL) की आड़ में चल रहा था। इसमें फर्जी कंपनियां और कम दाम पर दिखाई गई जमीन-जायदाद का इस्तेमाल किया गया ताकि ये लोग काले पैसे को सफेद कर सकें चैतन्य बघेल (बेटा), आईएएस अनिल टुटेजा, आबकारी मंत्री कवासी लखमा, मेयर एजाज ढेबर, विजय भाटिया ईडी ने चार्जशीट दायर की।
चैतन्य बघेल गिरफ्तार।
2. कोयला लेवी घोटाला ₹570+ करोड़ राज्य में हर कोयला ढोने वाले से ज़बरदस्ती 25 रुपये प्रति टन की अवैध वसूली की जाती थी। ये पूरा का पूरा पैसा कैश में और चोरी-छिपे इकट्ठा किया जाता था। सौम्या चौरसिया (मुख्यमंत्री की उप सचिव), रानू साहू, समीर बिश्नोई कई गिरफ्तारियां। नकद जब्ती। घोटाला PMLA (धन शोधन निवारण अधिनियम) जांच के दायरे में है।
3. महादेव एप घोटाला ₹6000+करोड़ पूरे देश में चल रहा एक अवैध सट्टे का अड्डा काले घन को सफेद करने के लिए इस्तेमाल हो रहा था। आरोप है कि ₹508 करोड़ सीधे भूपेश बघेल को दिए गए। आरोपी सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल। ईडी ने चार्जशीट में बघेल का नाम लिया है। सबूतों में वॉयस नोट, व्हाट्सएप चैट और पैसों का रिकॉर्ड शामिल है।
4. PDS / NAN घोटाला ₹5,000 करोड़ (अनुमानित) PDS (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) के लिए बने अनाज को डकार लिया गया। इसमें फर्ज़ी खरीद, बढ़ा-चढ़ाकर रिकॉर्ड दिखाना, और अनाज को दूसरी जगह भेजना शामिल था। अफसर अनिल टूटेजा, आलोक शुक्ला। इन्हें बघेल सरकार ने बचाया। CAG (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) ने ₹600 करोड़ का घोटाला पकड़ा। लेकिन बघेल के राज में इससे भी बड़ा घोटाला दबा दिया गया।
5. Godhan और Gothan घोटाला ₹1,300 करोड़ गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदने में ₹229 करोड़ फूंक दिए गए। गोठान (मवेशी शेड) बनाने पर ₹1,300 करोड़ खर्च किए गए—जबकि उनमें से ज़्यादातर कभी बने ही नहीं। स्थानीय ठेकेदार, कृषि विभाग के अधिकारी योजना का कभी ऑडिट नहीं हुआ। कागजों पर तो सफल दिख रही थी, पर ज़मीन पर पूरा धोखाधड़ी चल रही थी।
6. पीएम-किसान: फर्जी लाभार्थी ₹43 करोड़ 53,000 फ़र्ज़ी लोग योजना में शामिल किए गए। केंद्र की DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) सिस्टम से पैसा फर्जी किसान पहचान पत्र का इस्तेमाल करके कहीं और भेज दिया गया। कृषि विभाग के अधिकारी राज्य के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। केंद्र ने पर्दाफाश किया। बघेल सरकार ने कोई गिरफ्तारी नहीं की।

कुल मिलाकर पकड़ा गया भ्रष्टाचार: 15,000 करोड़ रुपये से भी बड़ा!

(जरा सोचिए: विजय माल्या का घोटाला 9,000 करोड़ रुपये का था। बघेल का घोटालों का साम्राज्य तो उससे कहीं ज्यादा बड़ा निकला!)

जब ईडी (Enforcement Directorate) ने बघेल के बेटे को धर दबोचा, तो उन्होंने कोई सच्चाई नहीं बताई। वो तो PM मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और अडानी पर झूठा गुस्सा निकालने लगे, उन्हें ही ब्लेम करने लगे। जबकि, परसा ईस्ट केंटे बासन (PEKB) और तमनार कोयला प्रोजेक्ट्स को तो बघेल के मुख्यमंत्री रहते हुए ही हरी झंडी मिली थी।

  • पर्यावरण की क्लियरेंस, ग्राम सभा से मंज़ूरी, और पेड़-पौधे लगाने का सारा काम उन्हीं की सरकार के टाइम पर हुआ था।
  • सरकारी कागज़ात बताते हैं कि PEKB से जुड़े पेड़ लगाने के अभियानों के तहत 2012 से 2025 के बीच 15.6 लाख से ज़्यादा पेड़ लगाए गए थे। (ये जानकारी PEKB (परसा ईस्ट केंटे बासन) के डेटा से है)
  • अडानी की छत्तीसगढ़ में कोई कोयले की खदान नहीं है। वो तो बस ‘माइन डेवलपर और ऑपरेटर’ के तौर पर काम करता है।

ऑपरेटर (MDO) राज्य-संचालित उपयोगिताओं (जैसे राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड) के लिए।

  • अडानी से बघेल के बेटे या उनके किसी भी खास आदमी तक एक भी पैसा नहीं मिला है। ईडी ने जो एक्शन लिया है, वो फर्जी कंपनियों, बैंक के रिकॉर्ड्स और जो सबूत जब्त हुए हैं, उनके आधार पर है, न कि किसी राजनीतिक विरोध की वजह से।

GPII (गारे पाल्मा II) खदान के सच

GPII का मालिक अडानी है ही नहीं! ये कोयले का ब्लॉक तो 2015 में कोयला मंत्रालय ने महाराष्ट्र की सरकारी कंपनी (Mahagenco) को दिया था, ताकि वो अपनी ज़रूरत के लिए बिजली बना सकें।

अडानी को ये ठेका तो 2021 में मिला था, वो भी कॉम्पिटिटिव बिडिंग और रिवर्स ऑक्शन के जरिए, किसी राजनीतिक जुगाड़ से नहीं।

कोयला महाराष्ट्र के लिए है, छत्तीसगढ़ के लिए नहीं! ये कोयला तो महाराष्ट्र के लिए है, जो बड़ा औद्योगिक राज्य है। इसका मकसद महाराष्ट्र की विदेश से आने वाले कोयले पर निर्भरता कम करना है।

GPII के विकास को बघेल सरकार ने ही मंजूरी दी थी:

  • पर्यावरण क्लियरेंस के लिए जो जन सुनवाई हुई थी, वो 2019 में बघेल सरकार के राज में ही हुई थी।
  • जंगल की पहले स्टेज की क्लियरेंस की सिफ़ारिश भी उन्हीं की सरकार ने की थी।
  • बघेल की सरकार ने GPII को मंज़ूरी दी थी। अब फंस गए तो वो उसी चीज का विरोध कर रहे हैं जिस पर उन्होंने खुद दस्तखत किए थे। अडानी की भूमिका एक ठेकेदार है, मालिक नहीं।

उनकी सरकार की भूमिका:

  1. मुख्यमंत्री आवास से 12 जनवरी 2025 को ली गई तस्वीर इस बात का सबूत है कि बघेल ने PEKB खदान के विस्तार के फैसलों की निजी तौर पर अध्यक्षता की थी। (twitter embed)
  2. पेड़ काटने के विरोध प्रदर्शन ED द्वारा चार्जशीट दाखिल करने के बाद ही शुरू हुए।
  3. 18 जुलाई को, जिस दिन ED ने गिरफ्तारी की थी, विधानसभा के किसी भी आधिकारिक एजेंडे में ‘पेड़ काटना’ सूचीबद्ध नहीं था।बघेल का दावा पूरी तरह से मनगढ़ंत है।

बघेल ‘अडानी’ वाली कहानी का इस्तेमाल ध्यान भटकाने के लिए कर रहे हैं ताकि:

A. आदिवासी भावना को गलत दिशा में ले जा सकें
B. लोगों को आपस में लड़ा सकें (एक-दूसरे के खिलाफ कर सकें)
C. अपने बेटे और करीबी लोगों को गिरफ्तारी से बचा सकें

कांग्रेस में अंदरूनी कलह

बघेल की सरकार सिर्फ कानूनी पचड़े में नहीं फेंसी है, बल्कि राजनीतिक तौर पर भी अकेली पड़ गई है।

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चरणदास महंत ने बघेल के एकतरफा ‘अडानी को दोषी ठहराने’ वाले बयान से खुद को अलग कर लिया है।

बघेल के बेटे की ईडी गिरफ्तारी से गांधी परिवार शर्मिंदा है और उसका बचाव करने से हिचक रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट (PNV एक्सप्रेस, नुक्कड़ न्यूज़) इस बात की पुष्टि करती है कि पार्टी में हर तरफ असंतोष है, कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर गया है, और अंदरूनी एकता टूट चुकी है।

कांग्रेस जानती है कि वह बघेल के भ्रष्टाचार को बचाते हुए अपनी साख वापस नहीं बना सकती।

‘आर्थिक नाकेबंदी’ अंतिम हताशापूर्ण हथकंडा

बघेल ने 22 जुलाई 2025 को छत्तीसगढ़ की ‘आर्थिक नाकेबंदी’ का आह्वान किया है। उनका दावा है कि ‘हम अडानी से लड़ने के लिए सड़कों और परिवहन को रोक देंगे।’

हकीकत:

यह कोई विरोध प्रदर्शन नहीं है बल्कि एक तरह से आर्थिक तौर पर जनता को बंधक बनाना है।

इसका असर इन आम लोगों पर पड़ेगा:

किसान जो अपना अनाज ले जा रहे हैं

मरीज़ जिन्हें अस्पताल जाना है

छात्र जो परीक्षा देने जा रहे हैं

छोटे व्यापारी जो पहले ही महंगाई से परेशान हैं

एक व्यक्ति जिस पर ₹16,000+ करोड़ लूटने का आरोप है, अब अपने बेटे को बचाने के लिए आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी रोकना चाहता है।

छत्तीसगढ़ को अब कौन नुकसान पहुंचा रहा है? बीजेपी या भूपेश बघेल?

भूपेश बघेल को सताया नहीं जा रहा है। उन पर छत्तीसगढ़ के इतिहास के सबसे बड़े भ्रष्टाचार के मामलों के समूह की जांच चल रही है।
उनके बेटे को निशाना नहीं बनाया जा रहा है। उन पर ₹3,100 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क में आरोपी होने का आरोप है।

अडानी मुद्दा नहीं है। बघेल द्वारा घोटालों की जांच से ध्यान भटकाने के लिए अडानी के नाम का दुरुपयोग करना ही असली घोटाला है।
उन्होंने सामाजिक न्याय को हथियार बनाया।

  • उन्होंने आदिवासी भावनाओं को मैनिपुलेट किया।
  • उन्होंने जन कल्याण को भ्रष्ट किया।
  • और अब, वो देश को गुमराह कर रहे हैं।

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