Malegaon Blast Case Verdict: मुंबई की विशेष एनआईए कोर्ट ने 2008 के मालेगांव बम धमाके के मामले में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। कोर्ट के इस फैसले पर अब AIMIM प्रमुख ओवैसी का गुस्सा फूटा है। ओवैसी ने इस फैसले पर अपनी नाराजगी जताते हुए जांच की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए हैं।
उन्होंने पूछा कि आखिर छह लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है। असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से यह भी पूछा कि क्या वह इस फैसले को चुनौती देगी?
मोदी सरकार पर ओवैसी ने लगाए आरोप
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई की एक विशेष एनआईए अदालत ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि सबूतों के अभाव में आरोप साबित नहीं हुए। इस फैसले से एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भड़क गए हैं। उन्होंने जांच को “जानबूझकर घटिया” बताया और मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। ओवैसी ने पूछा, “छह नमाजियों को किसने मारा?”
ओवैसी ने फैसले को निराशाजनक
फैसले को निराशाजनक बताते हुए एआईएमआईएम प्रमुख ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “6 नमाजी मारे गए, 100 लोग घायल हुए। उन्हें उनके धर्म के कारण निशाना बनाया गया। जानबूझकर की गई लापरवाही की जाँच के कारण आरोपियों को बरी कर दिया गया।” उन्होंने पूछा कि क्या मोदी और महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार इस फैसले को चुनौती देगी, जैसा उन्होंने मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में किया था। ओवैसी ने कहा, “17 साल बाद भी न्याय नहीं मिला है। महाराष्ट्र की ‘धर्मनिरपेक्ष’ पार्टियाँ जवाबदेही क्यों नहीं मांगतीं? 6 लोगों को किसने मारा?”
इसके अलावा ओवैसी ने पूछा, “क्या एनआईए और एटीएस की गलत जांच के लिए कोई जिम्मेदार होगा? यह वही मोदी सरकार है, जो आतंकवाद पर सख्त होने का दावा करती है, लेकिन एक आतंक के आरोपी को सांसद बना दिया गया।”

